मार्च, 2010 में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले पांच व्यक्तियों ने चंडीगढ़ पुलिस फोर्स में कांस्टेबल के पदों के लिए आवेदन दिया था लेकिन जांच समिति ने उनके आवेदनों को खारिज कर दिया था. बाद में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने समिति के फैसले को पलटते हुए इन पांचों लोगों को आवेदन करने का इजाजत दे दी थी. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी कैट के निर्णय पर मुहर लगा दी. हाईकोर्ट ने कांस्टेबल पदों के उम्मीदवारों को राहत प्रदान की थी और संबंधित प्रशासन को उनके आवेदन पर गौर करने का निर्देश दिया था.
हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए न्यायमूर्ति आर बानुमति और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा, ‘‘ पुलिस सेवा में भर्ती किया जाने वाला उम्मीदवार बेदाग चरित्र और ईमानदार होना चाहिए. आपराधिक पृष्ठभूमि वाला कोई भी व्यक्ति इस श्रेणी के लिए ठीक नहीं होगा.’’ पीठ ने कहा, ‘‘यदि वह आरोप मुक्त भी कर दिया जाता है या उसे छोड़ दिया जाता है तो यह नहीं माना जा सकता कि वह सम्मानजनक ढंग से दोषमुक्त हुआ या पूरी तरह बरी कर दिया गया. जांच समिति का फैसला अंतिम माना जाना चाहिए. बशर्ते जब तक फैसला दुर्भावनापूर्ण नहीं दिखे. समिति को भी पूरी निष्पक्षता के साथ उम्मीदवार की जांच करनी चाहिए.’’