ख़बरगुरु (नई दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष नवंबर में दिए उस अंतरिम आदेश में बदलाव के संकेत दिए हैं जिसमें देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने और दर्शकों को उस दौरान खड़े होने के लिए कहा गया था।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी देशभक्ति साबित करने के लिए उसे हर वक्त बाजू में पट्टा लगाकर घूमने की जरूरत नहीं है। देशभक्त होने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान न गाने और उस दौरान खड़े न होना राष्ट्रविरोधी नहीं है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग सिनेमाघर सिर्फ मनोरंजन के लिए जाते हैं। हम क्यों देशभक्ति को अपनी बांहों में रखें।
पीठ ने संकेत दिया कि वह 1 दिसंबर, 2016 के अपने आदेश में सुधार कर सकती है। इसी आदेश के तहत देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने के मकसद से सिनेमारों में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाना और दर्शकों के लिए इसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य किया गया था। पीठ ने कहा था कि जब राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान दर्शाया जाता है तो यह मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है। कोर्ट ने सभी सिनेमारों में फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजाने के निर्देश के लिए श्याम नारायण चोक्सी की जनहित याचिका पर यह निर्देश दिए थे।