खबरगुरु (रतलाम) 8 सितंबर। मीडिया प्रभारी गौरव दुबे ने बताया श्री माहुरकर का जन्म 16 मार्च 1935 में उज्जैन में हुआ था, जन्मभूमि उज्जैन होने से उन्हें रतलाम मण्डल से विशेष लगाव रहा है, दादा माहुरकर रेलवे में 55 वर्ष से मज़दूर संघ में सक्रिय थे व गार्ड के पद से सेवानिवृत हुए थे। श्री माहुरकर को महाराष्ट्र सरकार द्वारा द्रोणाचार्य अवार्ड से नवाजा गया था वे ट्रेड यूनियन के एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्हें यह सम्मान दिया गया था। इनके द्वारा ‘गार्जियन’ नामक पुस्तिका प्रकाशित की गयीं थी जिसका विमोचन तत्कालीन रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु द्वारा किया गया था।
माहुरकर की खेलों में बहुत रुचि रही है पूरे जोनल रेलवे में उनके नाम से क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेलों के आयोजन करवायें गये साथ ही माहुरकर के जन्मदिन पर पूरे जोनल रेलवे में 3000 यूनिट रक्तदान किया जाता रहा। माहुरकर ने आखरी दिन तक रेल कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ी, लॉकडाउन में परेशान हुए रेलकर्मचारियों के लिये वरिष्ट अधिकारियों से चर्चा कर कर्मचारियों को राहत देने की बात कहीं। इनके दुखद निधन पर एन.एफ.आई.आर के महामंत्री डा. एम राघवैय्या, पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल, मण्डल रेल प्रबंधक रतलाम श्री विपिन गुप्ता, अपर मण्डल रेल प्रबंधक के.के. सिन्हा व वेस्टर्न रेलवे मज़दूर संघ के अध्यक्ष श्री शरीफ खान पठान, मण्डल मंत्री श्री बी.के. गर्ग, मण्डल अध्यक्ष श्री रफीक मंसूरी द्वारा गहरा शौक व्यक्त किया व इसे रेलकर्मचारियों व संगठन के लिये अपूरणीय श्रति बताया।