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कब तक खुले में घुमेगा वायरस, अब कोरोना को लाॅकडाउन करने की आवश्यकता; व्यक्तियों से बचाव संभव लेकिन वस्तुओं से नहीं

कब तक खुले में घुमेगा वायरस, अब कोरोना को लाॅकडाउन करने की आवश्यकता; व्यक्तियों से बचाव संभव लेकिन वस्तुओं से नहीं

अजय जगदीशचन्द्र चौधरी खबरगुरु (नीमच)। कोरोना संक्रमण के इस दौर में यह एक बड़ी चुनौती बन गई कि हमें अपना व्यक्तिगत जीवन भी बचाना है और सामाजिक जीवन भी। लाॅकडाउन समस्या से बचाव तो है लेकिन हल नहीं, श्रम और कार्य का विराम आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में नकारात्मक परिवर्तन ला सकता है, इसलिए आज आवश्यकता है कुछ ऐसे कदम उठाने की जो इस कोरोना से बचाव के साथ-साथ कार्य में तेजी लायें, श्रम को सम्मान दे और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करें।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पिछले दो माह से पूरे देश की जनता लाॅकडाउन है, अपने-अपने घरों में सहमे दूबके लोग अपने भविष्य को लेकर आशंकित है। समाज के सभी वर्गाे को इस लाॅकडाउन ने भारी नुकसान पहुंचाया है, निम्नवर्ग के पास काम नहीं है और बिना काम के धन नहीं और बिना धन के जीवन संभव नहीं है। निम्नवर्ग जो कि मजदूर वर्ग है इस कोरोना काल में सबसे अधिक प्रताड़ित हुआ है, काम की तलाश में अपने मूल स्थान को छोड़कर शहरों की ओर पलायन करने वाले इस वर्ग को अंततः अपने गाॅंवों की ओर लौटना पड़ा। मध्यम वर्ग भी इस संकट काल में ऐसे दौराहे पर खड़ा है कि वह अपनी पीड़ा किसी को रोकर भी नहीं सुना सकता। छोटे-छोटे रोजगार के साधनों और नौकरियों से समाज में अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत यह मध्यम वर्ग बड़ी दयनीय स्थिति में खड़ा है। उच्च वर्ग पीड़ित तो नहीं है लेकिन परेशान अवश्य है कई परिवारों की रोजी-रोटी का माध्यम यह उच्च वर्ग भविष्य को लेकर हतोत्साहित है। श्रम बचा नहीं है जो मजदूर गाॅंव की ओर पलायन कर गये हैं उनका जल्दी वापस आना संभव नहीं और ऐसे में अर्थव्यवस्था की धुरी यह वर्ग सबसे अधिक दबाव में है।
इस प्रकार कोरोना संकट से पूरा समाज प्रभावित हुआ है लेकिन अब इससे बचने का नहीं अपितु सामना करने का समय है। इस आफतकाल को अवसर काल में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। अभी तक प्राप्त आंकड़ों और जानकारी से यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना संक्रमण संपर्क से फैलता है और केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि वस्तुएॅं भी बड़े स्तर पर इसकी वाहक है। कपड़ा, प्लास्टिक, धातु और यहाॅं तक की जल और वायु के द्वारा भी इसके संक्रमण के फैलने की बात कही जा रही है। ऐसे समय में लाॅक डाउन और सामाजिक दूरी के द्वारा व्यक्तियों से दूरी तो बनाई जा सकती है लेकिन रोजमर्रा में प्रयोग में लाये जाने वाली वस्तुओं से दूरी कैसे बनाई जा सकती है? यही कारण रहा है कि कोरोना पाॅजीटिव एक डाक्टर ने अपने आॅडियो संदेश के माध्यम से आशंका बतलाई कि उनका परिवार इन वस्तुओं के संपर्क में आने से ही कोरोना संक्रमित हुआ है। अगर यही वस्तुएॅं पैकिंग रूप में समाज में वितरित की जायेगी तो इनकी शुद्धि की प्रक्रिया एक परिवार के स्तर पर अधिक सरल होगी और सेनिटाईज करने पर इन वस्तुओं को वायरस से मुक्त कर प्रयोग में लाया जा सकता है।
अब आवश्यकता लोगों को लाॅकडाउन से मुक्त और इन वस्तुओं को लाॅक डाउन करने की है। इसके लिए एक नयी रणनीति के तहत कार्य करना होगा जिसके अंतर्गत सबसे पहले शासन को एक हेल्पलाइन नंबर और सोश्यल नेटवर्क की आवश्यकता होगी। हेल्प लाइन नं. पर शिकायतें एवं सुझाव आमंत्रित किए जाऐंगे और सोश्यल नेटवर्क जैसे फेसबुक पेज या वेब पोर्टल के माध्यम से प्रशासन अपनी समस्त गतिविधियों को साझा कर सकेंगे। शहर में वितरित किये जाने वाला किराना, दूध, सब्जी, फल और अन्य वस्तुओं के पैंकिंग वितरण पर जोर देना होगा। कोई भी वस्तु किसी भी दूकान पर खुले रूप में वितरित ना की जायें। सुबह 7 बजे से 1 बजे तक वस्तुओं के विक्रय का समय और शेष समय वस्तुओं की पैकिंग का समय निर्धारित करना होगा। दूध वितरण को दो पाॅली में अनुमति दी जानी चाहिए जिससे दूध वितरक समयानुसार दूध को पैक कर के ही वितरण करे। फल और सब्जियाॅं भी पैक कर के ही वितरित की जानी चाहिए, इसमें एक परेशानी यह हो सकती है कि वस्तुओं के नाप-तौल और शुद्धता के परीक्षण के अभाव में उपभोक्ता को नुकसान हो सकता है। इसका हल यह है कि अगर कोई वितरक सही कार्य नहीं कर रहा है या उसकी मंशा ग्राहकों को नुकसान पहूूॅंचाने की हो, तो वितरक को दिया गया पहचान पत्र को आधार बनाकर ग्राहक उसकी शिकायत कर सकें और दोषी पाये जाने पर उस वितरक का लायसेंस तुरंत प्रभाव से निरस्त कर देना चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया और कार्यरत एवं निरस्त वितरको की सूची की जानकारी प्रशासन के फेसबुक पेज या वेब पोर्टल के माध्यम से जनता तक पहुॅंच जाये। साथ ही वितरण को व्यवस्थित करने के लिए एक अल्पकालीन जाॅंच टीम का गठन किया जा सकता है, जिसमें क्षेत्र के युवाओं को अंशकालीन एवं अस्थाई नियुक्तियाॅं देकर व्यवस्था बनाई जा सकती है। यह टीम न्यूनतम वेतन पर कार्य करते हुए नगर में घुम-घुम कर वितरकों की जाॅंच कर सकेगी। वार्ड स्तर पर कार्यरत इस दो सदस्यीय टीम के द्वारा ग्राहक और वितरक की उपस्थिति में अपनी प्रत्येक जाॅंच का वीडियों बनाया जायेगा और उसे शासन के द्वारा जिला स्तर पर संचालित फेसबुक पेज या वेब पोर्टल पर अपलोड कर दिया जायेगा। अगर वितरक दोषी पाया जाता है, तो उस पर तत्काल कार्यवाही की जायेगी जिससे कार्य में पारदर्शिता भी आयेगी और असामाजिक गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
इसके साथ ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन को नये रजिस्ट्रेशन करते हुए लोगों को विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के वितरण की जवाबदारी देना होगी जिसके अंतर्गत होम डिलेवरी के लिए शुद्ध और पूर्ण मात्रा में वस्तुओं की पैकिंग की जाकर सप्लाई की जा सकेगी। इस प्रकार वस्तुओं की मांग में बढ़ोत्तरी होगी और कई सारा वर्ग इस कार्य से जुड़कर अपनी आजीविका कमा पायेगा साथ ही इससे श्रम का सदुपयोग भी होगा। लोग अपने घरों से भी पैकिंग आदि का कार्य कर सकेंगे। इसके साथ ग्रामीण वर्ग के लोगों को भी इस प्रकार की नवीन अर्थव्यवस्था में भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। हर कृषक अपने यहाॅं उत्पादित अनाज को अंतिम उत्पाद का रूप देकर वितरण कर सकेगा। इस प्रकार अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और समाज भी पैकिंग और शुद्ध वस्तुओं के उपभोग के मार्ग पर आगे बढ़ेगा। इस पूरी प्रक्रिया को तकनीकि के साथ जोड़ने पर यह बहुत सहज रूप से पूर्ण हो सकती है बस आवश्यकता है लीक से हटकर सोचने और कदम उठाने की, आशा है कि शासन-प्रशासन इस ओर गंभीरता से विचार करेगा।

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