खबरगुरु (थांदला) 4 सितंबर। “महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराध का सामाजिक एवं विधिक परिपेक्ष” विषय पर एक राष्ट्र स्तरीय वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश लोक अभियोजन द्वारा किया गया जिसमें संपूर्ण मध्यप्रदेश के अभियोजन अधिकारियों ने सहभागिता की।
अभियोजन मीडिया प्रभारी वर्षा जैन के अनुसार संपूर्ण प्रदेश के अभियोजन अधिकारी वेबीनार के माध्यम से कार्यशाला में सम्मिलित हुए। कार्यशाला में लोक अभियोजन संचालक पुरुषोत्तम शर्मा ने अभियोजन अधिकारियों को संबोधित किया। श्री शर्मा ने कहा की कन्या भ्रूण हत्या ,बाल विवाह ,बहु विवाह जैसी कुरीतियां पुरातन काल से हमारे समाज में चली आ रही है जिन्होंने वर्तमान में संगठित अपराध का रूप धारण कर लिया है जिन पर अंकुश लगाना आवश्यक है। लड़कियों का पीछा करना, ब्लैक मेलिंग या अश्लील वीडियो बनाकर वायरल कर देने जैसे साइबर क्राइम से महिलाएं बहुत पीड़ित है। महिलाओं को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार है। न केवल घर पर बल्कि कार्यस्थल पर भी महिलाओं के विरुद्ध हो रहे उत्पीड़न को रोकने के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं। श्री शर्मा ने दिन प्रतिदिन बढ़ रहे महिलाओं के विरुद्ध अपराध एवं घटते हुए सजायाबी प्रतिशत पर चिंता जाहिर की एवं सभी को निर्देश दिए कि बालकों एवं महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों से समाज को मुक्त करने की दिशा में अभियोजन अधिकारी चुनौतीपूर्ण ढंग से पैरवी करें। श्री शर्मा ने कहा की महिला एवं बच्चों के विरुद्ध हो रहे अपराधों में आरोपियों को कड़े से कड़ा दंड दिलवाने की आवश्यकता है।श्री शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश ही पूरे देश में एक ऐसा अनूठा प्रदेश है जिसमें पिछले एक वर्ष में 21 मामलों में मृत्युदंड की सजा न्यायालय द्वारा सुनाई गई है। शर्मा ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों को रोकने के लिए पुलिस एवं अभियोजन अधिकारी को समावेशी दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसके बाद कार्यशाला को संबोधित करते हुए साईवर ला एक्सपर्ट्स एंड प्रेसिडेंट साइबर क्राइम बॉम्बे प्रशांत माली द्वारा इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की सुसंगतता बिंदु पर उपलब्ध कानूनों की समुचित विवेचना लेटेस्ट केस ला के परिपेक्ष में की गई एवं अभियोजन अधिकारी द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए। इसके बाद कार्यशाला को सुश्री सुमन श्रीवास्तव एडीजे खुरई जिला सागर द्वारा संबोधित करते हुए महिलाओं के विरुद्ध अपराध विषय पर उपलब्ध विधिक प्रावधानों की समुचित व्याख्या की गयी एवं उन्होंने कहा कि न्याय दान का कार्य न्यायालय करते हैं परंतु पीड़ित व्यक्तियों को न्याय दिलाने में अभियोजन की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मकान बनाने में नींव की जो भूमिका होती है वही भूमिका न्याय दिलाने में अभियोजन अधिकारी की होती है । पितृसत्तात्मक सोच वाले समाज को बदलना आवश्यक है तभी महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में कमी आएगी उपरोक्त वर्चुअल कार्यशाला में उपसंचालक अभियोजन के.एस. मुवेल, जिला लोक अभियोजक सौभाग्य सिंह खिंची, वर्षा जैन सहित समस्त लोक अभियोजन अधिकारीयों ने भाग लिया। बेबीनार आयोजित करवाने में वूमेंस क्राइम स्टेट कोऑर्डिनेटर मनीषा पटेल एवं राजेंद्र उपाध्याय डीपीओ भोपाल का विशेष योगदान रहा।