ख़बरगुरु (उज्जैन) : काल भैरव उज्जैन का प्रसिद्ध मंदिर है ,उज्जैन के इस प्राचीन मंदिर मे भगवान काल भैरव साक्षात मदिरा का सेवन करते हैं। यहां काल भैरव के मुंह के पास मदिरा का पात्र रखने से मदिरा समाप्त हो जाती है।राजा भद्रसेन द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। तत्पश्चात राजा जयसिंह ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। श्री काल भैरव मंदिर में श्री भैरव महाराज के आराध्य शिव के साथ पार्वती, विष्णु और गणेशजी की परमारकालीन मूर्तियां भी स्थापित है। इसके साथ ही मंदिर में मालवा शैली के सुन्दर चित्र भी अंकित है।
काल भैरव का यह मंदिर लगभग 6 हजार साल पुराना माना जाता है। यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है। वाम मार्ग के मंदिरों में मांस, मदिरा, बलि, मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिकों को ही आने की अनुमति थी। वे ही यहां तांत्रिक क्रियाएं करते थे और कुछ विशेष अवसरों पर काल भैरव को मदिरा का भोग भी चढ़ाया जाता था। कालान्तर में ये मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया, लेकिन बाबा ने भोग स्वीकारना यूं ही जारी रखा।
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर यहां पर एक बड़ा मेला लगता है, भैरव मंदिर में जैसे ही मदिरा का प्याला भैरव नाथ के मूंह पर लगाया जाता है देखते ही देखते मदिरा के प्याले खाली हो जाती हैं। इस मंदिर की महत्ता को प्रशासन की भी मंजूरी मिली हुई है। खास अवसरों पर प्रशासन की ओर से भी बाबा को मदिरा चढ़ाई जाती है।
उज्जैन के काल भैरव मंदिर में शराब से भरे प्याले को काल भैरव की मूर्ति के मुंह से लगाते है तो देखते ही देखते वो शराब के प्याले खाली हो जाते है। इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है। यही शराब फिर प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती है।
अद्भुत रहस्य
ब्रिटिश साम्राज्य मे अंग्रेजों ने प्रतिमा के चारों और बहुत लंबी खुदाई कराई लेकिन उन्हें पता नही चल पाया की ये मदिरा कहाँ जाती है। उसके बाद नासा ने भी आकर अपने सारे प्रयत्नों के द्वारा पता लगाने की कोशिश की लेकिन उन्हें भी निराश ही होना पड़ा। रहस्य का पता लगाने में अंग्रेजों और नासा की कोशिशें भी नाकाम रही।
काल भैरव को मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है।