खबरगुरु (रतलाम) 14 सितंबर। अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी शिव मनावरें ने बताया कि माननीय विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट रतलाम (श्री तरूण सिंह) द्वारा आरोपी दिनेश पिता तोलाराम पारगी उम्र 22 वर्ष नि. ग्राम गेडी थाना शिवगढ जिला रतलाम का जमानत आवेदन पत्र निरस्त किया गया।
विशेष लोक अभियोजक (पाक्सो एक्ट) श्रीमती गौतम परमार ने बताया कि दिनांक 19.05.2020 को फरियादी पिता ने थाना सैलाना पर उपस्थित होकर अपनी 17 वर्षीय अवयस्क बालिका जोदिनांक 14.05.2020 को रात्रि में 10 बजें जब वह शौच करने गयी थी, वापस नही आई जिसकी तलाश उसकेद्वारा आसपास गॉवो व परिवारजनो में की गई, बालिका के नही मिलने पर पिता द्वारा थाना सैलाना पर अज्ञात आरोपी द्वारा बालिाक को बहला फुसलाकर भगा ले जाने संबंधी रिपोर्ट थाने पर दर्ज करवायी गई।
थाना सैलाना पर अवयस्क अभियोक्त्री के पिता की सूचना पर से प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। दिनांक 26.05.2020 को अवयस्क अभियोक्त्री को लेकर उसके पिता द्वारा थाने पर उपस्थित होने पर पुलिस द्वारा दस्तयाब कर उससे पुछताछ की गयी तब अभियोक्त्री ने बताया पूर्व से परिचित अभियुक्त दिनेश पिता तोलाराम पारगी घटना दिनांक की रात्रि को जब वह शौच करने गयी थी तभी मोटर सायकिल से आया और उसे बहला फुसलाकर मोटर सायकिल पर बिठा कर रतलाम ले गया जहॉ एक कमरे में उसे 9-10 दिन तक रखा और उसके साथ दुष्कर्म किया। आरोपी उसे कमरे में बंद करके रखता था। एक दिन वह कमरे की खिडकी बंद करना भुल गया था और दरवाजा लगा कर बाहर गया था तभी वह कमरे की खिडकी से निकल कर अपनी माता पिता के घर आयी और उन्हे घटना बतायी।
विवेचना के दौरान पुलिस द्वारा अभियुक्त दिनेश को दिनांक 27.05.2020 को मुखबिर सूचना के आधार पर सैलाना बस स्टेण्ड से पकडकर थाना सैलाना लेकर आई और उससे पुछताछ कर उसे गिरफ्तार कर आवश्यक कार्यवाही उपरांत उसी दिन अभियुक्त को माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था जहॉ से उसका जेल वारंट बनाकर उसे सैलाना जेल दाखिल किया गया था।
विवेचना पूर्ण होने के पश्चात अभियोग पत्र आरोपी के विरूद्ध दिनांक 23.07.2020 को माननीय विशेष न्यायालय रतलाम में प्रस्तुत किया गया।
आरोपी दिनेश की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा जमानत आवेदन पेश करने पर दिनांक 14.09.2020 को माननीय विशेष न्यायालय में सुनवायी हुई जिसमें अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्रीमती गौतम परमार द्वारा जमानत आवेदन पत्र का विरोध कर तर्क प्रस्तुत किये गये। न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्को व अवयस्क बालिकाओ के साथ बढते हुए लैंगिक हमलो की घटनाओ को देखते हुए अभियुक्त को जमानत पर छोडा जाना उचित नही मानते हुए जमानत आवेदन निरस्त किया गया।