खबरगुरु (रतलाम) 15 मार्च। नगर के बहुचर्चित तलाक के मामले में कुटुम्ब न्यायालय व्दारा श्रीमती नेहा गर्ग व्दारा प्रस्तुत तलाक का आवेदन निरस्त कर दिया गया है। माननीय कुटुम्ब न्यायालय व्दारा पारित निर्णय के अनुसार श्रीमती नेहा गर्ग सम्पूर्ण प्रकरण में यह साबित नहीं कर सकी कि उसके पति सूर्यदीप गर्ग व्दारा किसी भी प्रकार की क्रूरता उसके साथ की गई है।
एडवोकेट अमित पांचाल के अनुसार नई दिल्ली निवासी सूर्यदीप गर्ग और उनके परिजनों के विरुध्द उनकी पत्नी नेहा गर्ग व्दारा दहेज प्रताड़ना की एफआईआर तत्कालीन एसपी डॉ. मयंक जैन के कार्यकाल में करवाई गई थी, वहीं दूसरी ओर सूर्यदीप गर्ग व्दारा उनके पुत्र अर्थ गर्ग से मिलने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की गई थी। उक्त याचिका का सूचना पत्र तामिल करवाने के लिए जब वह रतलाम आया तो उसे दहेज प्रताड़ना वाले प्रकरण में गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया।
इस प्रकरण में जमानत पर छूटने के बाद जब वह दिल्ली वापस गया तो श्रीमती नेहा गर्ग के मामा रवि गुप्ता ने थाना स्टेशन रोड़ रतलाम पर सूर्यदीप गर्ग के विरुध्द एक अन्य झूठी एफआईआर उसे फोन पर धमकाने की घटना बनाकर की, जबकि जिस समय उसे फोन पर धमकाया गया था उस समय सूर्यदीप गर्ग रतलाम जेल में बंद था। इस एफआईआर के आधार पर स्टेशन रोड़ पुलिस थाना व्दारा नई दिल्ली से सूर्यदीप को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया और रतलाम ले आए।
इस मामले में जमानत होने पर जब वह रतलाम जेल से छूटा तो उसे जेल से ही तत्कालीन एसपी स्क्वाड के पुलिसकर्मियों व्दारा पकड़कर अपने साथ ले जाया गया। यहां से उसे जावरा औद्योगिक क्षेत्र थाना पर ले जाया गया और वहां एसपी मयंक जैन व्दारा उसके विरुध्द अवैध रुप से पिस्टल और कारतूस रखने का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें सूर्यदीप गर्ग को माननीय न्यायालय जावरा व्दारा दोषमुक्त किया गया और अपने निर्णय में यह उल्लेख किया का उक्त प्रकरण दुर्भावनापूर्ण और दबाव डालने के लिए बनाया गया था।
यह सम्पूर्ण घटनाक्रम तत्कालीन एसपी डॉ. मयंक जैन के कार्यकाल में घटित होने से और उनकी इन मामलों में सक्रिय भूमिका होने से सूर्यदीप के पिता रविन्द्र प्रकाश व्दारा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति को पत्र लिखा गया था, जिसे याचिका मानकर मु्ख्य न्यायमूर्ति व्दारा इन्दौर उच्च न्यायालय में सुनवाई हेतु भेजा गया था, जहां पर उपरोक्त झूठे बनाए गए सभी प्रकरणों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले डॉ. मयंक जैन सहित सभी पुलिसकर्मियों व अन्य षडयंत्रकारियों के विरुध्द मामला पेश करने के निर्देश सूर्यदीप के पिता को दिए गए थे और उनकी ओर से रतलाम न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
श्रीमती नेहा गर्ग व्दारा प्रस्तुत तलाक के मामले में सूर्यदीप गर्ग की ओर से उनका पक्ष अमित कुमार पांचाल एडवोकेट व्दारा रखा गया और उपरोक्त सम्पूर्ण घटनाक्रम मय दस्तावेजों के माननीय कुटुम्ब न्यायालय के समक्ष रखा गया। सूर्यदीप के अनुसार नई दिल्ली स्थित फ्लेट के सम्बन्ध में श्रीमती नेहा गर्ग और उऩकी माता सुनीता गुप्ता का सूर्यदीप गर्ग से स्वामित्व सम्बन्धी और कब्जे के सम्बन्ध में विवाद था।
नेहा और सूर्यदीप का हुआ था प्रेम विवाह
सूर्यदीप गर्ग और श्रीमती नेहा गर्ग के प्रेम सम्बन्ध होने के पश्चात उनका विवाह हुआ था इसलिए दहेज को लेकर उसे प्रताड़ना दिए जाने का झूठे आरोप लगाए थे। प्रकरण के विचारण के दौरान श्रीमती नेहा गर्ग व्दारा सूर्यदीप गर्ग को लिखे गए कई प्रेम पत्र और शादी के बाद पति-पत्नी और उनके परिजनों के फोटोग्राफ्स के अवलोकन से माननीय कुटुम्ब न्यायालय व्दारा यह नहीं पाया गया कि श्रीमती नेहा गर्ग को शारीरिक या मानसिक रुप से सूर्यदीप व्दारा प्रताड़ित किया गया हो। तलाक के उक्त प्रकरण में श्रीमती नेहा गर्ग व्दारा अपने ऐसे किसी भी परिजन या अन्य रिश्तेदार के बयान नहीं कराए गए जिन्हें उसके साथ घटित किसी भी घटना के बारे में कोई भी जानकारी रही हो।
उपरोक्त समस्त आधारों पर माननीय कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश महोदय श्री हितेन्द्र कुमार मिश्रा व्दारा यह पाया गया कि श्रीमती नेहा गर्ग उनके साथ हुई क्रूरता को साबित ही नहीं कर पाई है और उसकी ओर से प्रस्तुत तलाक का प्रकरण निरस्त कर दिया गया।