खबरगुरु (रतलाम) 13 जून। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को ‘विश्व रक्तदान दिवस’ मनाया जाता है। शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाता है। 14 जून 1868 को वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म हुआ था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है।
14 जून के दिन को ‘विश्व रक्तदान दिवस’ के रूप में विश्व के कई देशों में बड़े पैमाने पर स्वैच्छिक रक्तदान करके मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि किसी भी व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिए अगर उसको कभी अचानक रक्त की ज़रूरत पड़े, तो उसके जीवन के लिए सुरक्षित रक्त उस समय उसके आसपास के लोगों की रक्तदान करने के प्रति जागरूकता की वजह से सुलभता से उपलब्ध हो सके और रक्त के लिए उसको या उसके परिजनों को पैसे देने की ज़रूरत न पड़े।
हम शहर के ऐसे ही कुछ जागरुक और जिम्मेदार युवाओं से आपका परिचय करा रहे हैं
विश्व रक्तदाता दिवस पर हम शहर के ऐसे ही कुछ जागरुक और जिम्मेदार युवाओं से आपका परिचय करा रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन में मौत के मुंह में जाते लोगों को अपने रक्त के कतरों से जान बचाने में सहायक होते हैं। लिस्ट तो बहुत बड़ी है पर हम कुछ से आपका परिचय करा पा रहे है। जिम्मेदार बने शहर के युवा अब अनजानों का जीवन बचाने में भी पीछे नहीं हैं। वे नियमित रूप से हर तीसरे माह रक्तदान करते हैं। यही नहीं कम उम्र की इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को समझ चुके ये युवा अपने संगी-साथियों को भी रक्तदान के प्रति जागरूक बना रहे हैं।
गोविन्द काकानी: 1980 में पूना आर.एस.एस की जनकल्याण रक्तपेड़ी से शुरू हुआ समाजसेवी गोविन्द काकानी का रक्तदान का सफर आज भी जारी है। श्री काकानी का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव (AB+) है। 20 वर्ष की उम्र की पहली बार रक्तदान किया था। श्री काकानी अभी तक अपने जीवन में 93 बार रक्तदान कर चुके है। स्वयं का जन्मदिवस हो या परिवार में किसी भी सदस्य का जन्मदिवस हो, शादी की वर्षगाठ या कोई अन्य खुशियों का पल हो गोविन्द काकानी रक्तदान करना नहीं भूलते है। उनका साथ परिवार के सदस्य भी देते हैं। परिवार के सदस्य भी समय समय पर ब्लड डोनेशन करते हैं। यानि गोविन्द काकानी का पूरा परिवार रक्तदान के लिए हमेशा तैयार रहता है। [divider]
राजेश पुरोहित: ओ निगेटिव (O-) ब्लड़ ग्रुप के राजेश पुरोहित अपने 48 वर्ष की उम्र में 100 बार रक्तदान कर चुके है। श्री पुरोहित ने पहली बार रक्तदान 19 वर्ष की उम्र मेंं रतलाम के जिला अस्पताल में किया था। मुन्ना भाई गेरेज वाले और अपने पिता श्री रामसिंह पुरोहित की प्रेरणा से प्रथम बार रक्तदान कर इस सफर को आगे बढ़ाया था। श्री पुरोहित रतलाम के अलावा बडौदा, धार और इन्दौर मे भी रक्तदान करते आये है। कोरोना काल में भी लोगो को जागरूक कर रक्तदान करवाया।[divider]
दिलीप के भंसाली: दिलीप के भंसाली 57 वर्ष के हो चुके है आपने अपने जीवनकाल में 97 बार रक्तदान किया है। किसी के लिए रक्तदान करना तथा जान बचाने से बड़ा कार्य ओर कुछ हो ही नहीं सकता है। इसमें बहुत खुशी का अनुभव होता है तथा अंतरआत्मा को संतुष्टि मिलती है। [divider]
रमेश सोनी: 58वर्ष के रमेश सोनी पेशे से पत्रकार है। अभी तक वह अपने जीवन में 32 बार रक्तदान कर चुके है।। रमेश सोनी का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव (O+) है। माता जी के मुंबई में ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन में रक्तदाता के नहीं मिलने पर 20 वर्ष की आयु में पहली बार रक्तदान किया था। उसी समय ठान लिया था कि जब मौका मिलेगा रक्तदान करेंगे। और दूसरो को भी जागरूक करेंगे। री सोनी की प्रेरणा से कई युवा इस अभियान में शामिल हुए हैं तथा स्वयं भी हमेशा जरूरतमंद को खून देने के लिए तैयार रहते है। [divider]
एडवोकेट प्रीति सोलंकी: 20 साल के उम्र से प्रीति सोलंकी ने रक्तदान करना शुरू किया था। वर्तमान में उनकी उम्र 36 वर्ष है तथा वह लगातार ब्लड डोनेशन करते आ रहे हैं। अपने जीवन में 29 बार रक्तदान किया है। प्रीति सोलंकी का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव (B+) है। जरूरतमंद के लिए न केवल रक्तदान में पीछे हटती बल्कि पता लगते ही जीवन-मृत्यु के बीच जूझ रहे पीडि़त को उसके ग्रुप का ब्लड भी उपलब्ध कराने तैयार रहती हैं। [divider]
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