🔴 4 वर्ष का सश्रम कारावास तथा कुल 1000/- रुपए के अर्थदण्ड
खबरगुरु (रतलाम) 22 नवम्बर। सेवानिवृत्त आयुष अधिकारी के भुगतान के मामले में आयुष अधिकारी डॉ. नीलम कटारा ने रिश्वत की मांग की, जिसकी शिकायत लोकायुक्त को हुई। मामला न्यायालय में पहुंचा। विशेष न्यायालय के न्यायाधीश संतोष कुमार गुप्ता ने जिला आयुष अधिकारी डॉ. नीलम कटारा को 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000/- रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया।
महिला अधिकारी 5 हजार रूपए रिश्वत की कर रही थी मांग
30 जून 2015 को आयुष विभाग से जिला आयुष अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुआ है, सेवानिवृत्ति पश्चात उसे अव्यवसायी भत्ते की राशि करीब 8,96,000/- रुपए का भुगतान किया जाना है। डॉ. नीलम कटारा के द्वारा इस राशि के भुगतान के लिए 5,000/- रूपए की रिश्वत की मांग की जा रही है।
करेंसी नोटो के नंबरों का मिलान किए जाने पर ये नोट वही नोट पाए गए
आरोपी के कार्यालय जिला आयुष अधिकारी कार्यालय, रतलाम में की गई तथा आरोपी डॉ. नीलम कटारा को आवेदक सुरेशचन्द्र से 4,000/- रुपए रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त के निरीक्षक प्रशांत मुकादम द्वारा ट्रेप किया गया। मौके पर आरोपी के हाथों को सोडियम कार्बोनेट पाउडर के घोल में धुलवाया गया तो घोल का रंग गुलाबी हो गया। आरोपी ने रिश्वत के नोट लेकर अपने काले रंग के हेण्ड बैग में रख लिए थे। इन करेंसी नोटो के नंबरों का मिलान किए जाने पर ये नोट वही नोट पाए गए, जो लोकायुक्त कार्यालय में फिनाफ्थीलीन पावडर लगाकर आवेदक की जेब में रखवाए गए थे। एफ.एस.एल. द्वारा रासायनिक परीक्षण में आरोपी के हाथ धुलवाने के घोल और हेण्ड बैग के ऊपर की जेब जिसमें रिश्वत की राशि रखी गई थी। घोल में फिनाफ्थलीन का परीक्षण धनात्मक पाया था।
विवेचना में अपराध प्रमाणित पाए जाने पर आरोपी के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति प्राप्त कर विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन द्वारा आरोपी के विरुद्ध अभियोग पत्र 08 जून 2017 को विशेष न्यायालय रतलाम में प्रस्तुत किया गया था। जिसमें विचारण उपरांत विशेष न्यायालय रतलाम द्वारा आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।
4 वर्ष के सश्रम कारावास तथा कुल 1000/- रुपए के अर्थदण्ड
विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त उज्जैन के विशेष प्रकरण क्रमांक 02/2017 में विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) संतोष कुमार गुप्ता द्वार 22 नवंबर को पारित अपने निर्णय में डॉ. नीलम कटारा पिता विजयसिंह कटारा आयु 33 वर्ष तत्कालीन जिला आयुष अधिकारी, जिला रतलाम को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं 13(1)डी सहपठित धारा 13(2) में दोषसिद्ध पाते हुए 4 वर्ष के सश्रम कारावास तथा कुल 1000/- रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित कर आरोपी को जेल भेजा गया। शासन की ओर से पैरवीकर्ता रोजर चौहान, विशेष लोक अभियोजक (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने की।