🔴 डीन एक्शन में आए और शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में कार्यरत डॉक्टर्स को जारी किया नोटिस
डॉ. हिमांशु जोशी
खबरगुरु (रतलाम) 5 फरवरी। आखिरकार रतलाम में मेडिकल कॉलेज प्रशासन हरकत में आया और डीन ने ऐसे डॉक्टर्स जो नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए शासन को धोखा कर रहे हैं उनको चेतावनी देते हुए सख्त नोटिस जारी किया है। 29 जनवरी को खबरगुरु डॉट कॉम पर प्रसारित खबर का असर दिख रहा है। खबर के माध्यम से बताया गया था कि किस प्रकार शासकीय मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर्स शासन की नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। जिसमें मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर शासन की एनपीए सेवा का लाभ लेते हुए निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं एवं शासन को गुमराह कर रहे हैं। खबर के बाद मेडिकल कॉलेज डीन एक्शन में आए और उन्होंने शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में कार्यरत डॉक्टर्स को एक नोटिस जारी किया है। जिसमें शासन द्वारा पूर्णता प्रतिबंधित निजी प्रैक्टिस का हवाला दिया है। नोटिस के माध्यम से कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
शासकीय मेडिकल कॉलेज रतलाम के डॉक्टर्स एनपीए (नॉन प्रैक्टिस अलाउंस) के लिए एफीडेविट दे रहे है। हकीकत ये है कि नियमों की धज्जियां उड़ाकर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर निजी अस्पताल एवं क्निली में रोगियों की जांच के नाम पर फीस वसूल रहे हैं। एक ओर सरकार से एनपीए का लाभ ले रहे है और दूसरी और सरेआम निजी अस्पताल और क्लिनिक पर पैसा वसूल रहे है। यह खुलेआम हो रहा है। यहां तक की निजी अस्पताल और क्लिनिक मे मेडिकल कॉलेज के डाक्टर्स के नाम भी लिखे हुए है। यही कारण है कि जनता शासकीय मेडिकल कॉलेज अथवा अस्पताल में जाने की बजाय निजी अस्पताल अथवा क्लीनिक का रुख करने लगी है। इसके लिए आम जनता की जेब ढीली होती है और हजारों रुपए निकल जाते हैं। अब आम जनता यह पीड़ा किसको सुनाएं ? जब जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते हैं और इस प्रकार के कार्य को होने देते हैं तब इसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ता है।
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जानिए क्या है नियम
म.प्र. उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएँ अधिनियम 1973 और 1997 में यह प्रावधान है कि जिले के सरकारी डॉक्टर्स (स्वास्थ्य विभाग) निजी प्रैक्टिस अपनी ड्यूटी अवधि के बाद सिर्फ आवासों पर ही कर सकते हैं। इसमें भी वे केवल परामर्श ही दे सकेंगे तथा खुद या परिजनों के नाम पर निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम या निजी अस्पताल नहीं चला सकते। आवासों के अलावा अन्य किसी निजी संस्थान में परामर्श सेवाएँ भी नहीं दी जा सकती हैं। यदि कोई शासकीय मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉ निजी अस्पताल में कोई ऑपरेशन करता है तो उसके बाद उसे जानकारी अपने संस्थान में देना होता है। साथ ही एक नियत शुल्क भी सरकार के पास जमा कराना होता है। परंतु इस नियम का पालन कितना हो रहा है यह तो सर्वविदित है। बावजूद उसके कोई कार्यवाही नहीं होना यह प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
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एक नोटिस जारी किया गया है और सभी डॉक्टर्स को चेतावनी भी दी गई है कि शासन के नियमों का उल्लंघन ना करें। इसके बावजूद अगर कोई डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करता हुआ मिला तो उस पर कार्यवाही होगी। जो डॉक्टर एनपीए का लाभ ले रहे हैं वह तो निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं और जो एनपीए का लाभ नहीं ले रहे हैं वह भी सिर्फ अपने आवास पर कार्यालय समय के बाद निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं।
डॉ. जितेन्द्र गुप्ता- डीन
शास. मेडिकल कॉलेज, रतलाम