सूर्य को जल चढ़ाने की परम्परा बहुत पुराने समय से है. शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को जल चढाने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं. मनुष्य पर सूर्य का प्रकोप नहीं होता है. साथ ही उसके राशि दोष ख़त्म हो जाते हैं. भारतीय परंपरा है कि सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाकर ही भोजन किया जाता है.
शास्त्रों के अनुसार स्नान करके पवित्र होकर ही भोजन करना चाहिए. बिना स्नान किये भोजन करना पशुओं के समान है इसे अपवित्र माना गया है. ऐसा करने से देवी देवता अप्रसन्न हो जाते है.
सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें ज्यादा तेज नहीं होती हैं, जो शरीर के लिए एक औषधि का काम करती हैं. उगते सूर्य को जल चढ़ाते वक्त जल की धार में सूर्य दिखाई देता है. सूर्य की किरणें जल में से छनकर आंखों और शरीर पर पड़ती हैं. जिससे आंखों की रोशनी तेज होती है. इससे पीलिया, क्षय रोग और दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है. सूर्य की किरणों से विटामिन-डी भी मिलता है. सुबह सुबह सूर्य को जल चढाने से शुद्ध ऑक्सीजन भी मिलती है.वहीं स्नान के बाद भोजन को धार्मिक नजरिए से अहम माना गया है. ये परंपरा भी सदियों पुरानी है.