खबरगुरु (रतलाम) 4 अगस्त। उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने के अपने कार्य को जारी रखते हुए रतलाम मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने नवजात शिशु की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इस बीमारी को एनल एट्रेसिया कहते हैं। इसी बीमारी से पीड़ित एक नवजात शिशु का केस रतलाम मेडिकल कॉलेज आया। इस बीमारी के कारण बच्चा मल त्याग नहीं नहीं कर पा रहा था। डाक्टरों की टीम ने तत्काल ऑपरेशन की तैयारी की। डॉक्टरों ने इसे चैलेंज के तौर पर लिया और बच्चें का सफल ऑपरेशन किया। बच्चा अब स्वस्थ है और ऑब्जर्वेशन में है।
जन्म के बाद से 3 दिन तक रावटी में नवजात शिशु का इलाज चल रहा था। 3 दिन बाद बच्चे के पेट फूलने की समस्या हुई । परिजन नवजात को रात 8 बजे रतलाम के शासकीय मेडिकल कॉलेज में लेकर आए। डाक्टर्स की टीम ने तुरंत आवश्यक टेस्ट करवाए और अगले दिन सुबह 10 बजे नवजात को ऑपरेशन के लिए लेकर गए। ऑपरेशन लगभग 1 घंटे तक चला। पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. विक्रम मुजाल्दे के साथ एनेस्थीसिया के लिए डॉ. शैलेंद्र डावर, डॉ. सचिन कुंभारे एवं डॉ. दीपक गुप्ता ऑपरेशन के दौरान मौजूद रहे। नवजात बच्चे के पिता भारत खाडिया और माता संगीता सैलाना के हरथल गांव के रहने वाले है। बच्चे का जन्म रावटी में हुआ था।
एनल एट्रेसिया एक जन्मजात असामान्यता है। यह 5000 में से लगभग 1 में होती है। इस बीमारी में बच्चा मल या मूत्र त्याग नहीं कर पाता है। मल त्याग करने के लिए मार्ग में रूकावट रहती है। मल पेट के अंदर ही जमा होता रहता है। इसी स्थिति में पेट फूलने लगता है। समय पर इसकी सर्जरी होना बहुत जरूरी है।
परिजन 3 दिन बाद नवजात को मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे। बच्चे की स्थिति गंभीर थी तुरंत सारे टेस्ट करवा कर अगले दिन हमने बच्चे का ऑपरेशन किया। अब बच्चा स्वस्थ है डॉ. देवेंद्र नरगवे की देखरेख में है। नवजात को 24 घंटे ऑब्जर्वेशन में रखा है। सब कुछ ठीक रहा तो 24 घंटे बाद छुट्टी दे दी जाएगी। बच्चा मल त्याग नहीं कर पाता है। यह बच्चों में जन्म से ही होने वाली गंभीर समस्या है। जिससे मल पेट में ही जमा होता है और पेट फूलने लगता है। समय पर अगर इलाज नहीं मिले तो पेट फट सकता है। इससे बच्चे की जान का खतरा भी बना रहता है।
डॉ. विक्रम मुजाल्दे
पीडियाट्रिक सर्जन- मेडिकल कॉलेज, रतलाम
ऐसे जटिल ऑपरेशन के लिए रतलाम मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स की टीम मौजूद है। पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए हम OT को अत्याधुनिक और एडवांस बना रहे हैं। भविष्य में जटिल ऑपरेशन के लिए मरीजों को रतलाम से बाहर नहीं जाना होगा। जन्मजात गंभीर बीमारियों के लिए ऑपरेशन यहीं पर हो सकेंगे।
डॉ. जितेंद्र गुप्ता (डीन)
मेडिकल कॉलेज, रतलाम