खबरगुरु (रतलाम) 27 अक्टूबर। डा. आंबेडकर नगर (महू) से रतलाम आ रही डेमू ट्रेन के इंजन में आग लग गई। इंजन से धुंआ उठते देख ट्रेन के चालक ने ट्रेन रोक दी। घटना स्थल पर फायर ब्रिगेड पहुंचने का रास्ता भी नहीं था। ट्रेक के किनारे खेतों में मौजूद किसाना ने खेत में रखी पानी की मोटर चलाकर आग बुझाई। आग लगने का कारण अभी पता नहीं चला है।
हादसा रविवार तकरीबन शाम 5 बजे का बताया जा रहा है। ट्रेन डॉ.अंबेडकर नगर (महू) से रतलाम आ रही थी उसी दौरान प्रीतम नगर और रुनीजा रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन के इंजन में आग लग गई। यहां इंजन से धुआं निकलता देख लोको पायलट ने ट्रेन रोक दी। धुआं निकलता देख यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ यात्री अपना सामान लेकर ट्रेन से उतरकर खेत में भागे। तत्काल लोको पायलट द्वारा कंट्रोल एवं अन्य अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई तथा फायर ब्रिगेड को भी सूचित किया गया। हालांकि घटना स्थल तक फायर ब्रिगेड के जाने के लिए रास्ता नहीं था। लोको पायलट एवं ट्रेन मैनेजर के पास उपलब्ध अग्निशामक यंत्र का उपयोग आग बुझाने के लिए किया गया परंतु उससे भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका। ट्रेक के किनारे खेतों में मौजूद किसाना ने खेत में रखी पानी की मोटर चलाकर आग बुझाई। डीआरएम रजनीश कुमार सहित तकनीकी टीम मौके पर पहुंची। जांच करने के बाद शाम तकरीबन 7:20 पर ट्रेन को रतलाम के लिए भेजा गया।
यात्री उतरते उसके पहले ही चल दी ट्रेन, हो सकता था हादसा
तकरीबन 7 बजकर 20 मिनट पर ट्रेन रवाना हुई। कई यात्री स्टेशन आने से पहले ही ट्रेन से उतरकर पैदल ही ट्रैक पर आगे बढ़ गए। ट्रेन का अगला स्टेशन प्रीतम नगर था। यहां भी रेलवे की लापरवाही दिखी। ट्रेन मैं ज्यादा भीड़ के कारण यात्रियों को उतरने में असुविधा हो रही थी। ट्रेन महज 30 से 40 सेकंड रुक पाई, यात्री उतरते उसके पहले ही ट्रेन चल दी। एक महिला को अपने 2 साल के बच्चे को चलती ट्रेन से उतारना पड़ा। कुछ यात्रियों को परिजन प्रीतम नगर रेलवे स्टेशन लेने पहुंचे थे। अब वहां उतरे यात्रियों का कहना था जब हम परेशान होकर 2 घंटे इंतजार कर सकते हैं तो क्या रेलवे 1 मिनिट ट्रेन नहीं रोक सकता था? ऐसे में अगर कोई हादसा होता तो उसकी जिम्मेदार कौन होता। इंदौर से रतलाम के बीच चलने वाली ट्रेन में आग लगने की यह पहली घटना नहीं है। फिर भी रेलवे प्रशासन इसे कोई सीख नहीं ले पाता। 2 घंटे तक दो स्टेशनों के बीच में ट्रेन खड़ी रही। यात्री परेशान होते रहे। परंतु रेलवे की ओर से उन्हें पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं की गई। इंजन को पहुंचने में 2 घंटे लग गए।
स्टेशन पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं थी
प्रीतम नगर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं थी। स्टेशन के बाहर अंधेरा था। प्रीतम नगर रेलवे स्टेशन पर उतरने वाले महिला यात्रियों को काफी मशक्कत करना पड़ी। रेलवे द्वारा स्टेशन पर यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई थी। जबकि रेलवे के पास 2 घंटे का पर्याप्त समय था। अधिकारियों की मंशा होती तो बच्चों, महिलाओं एवं बुजुर्ग के लिए पानी की व्यवस्था की जा सकती थी। घटनास्थल से अगले स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के इंतजाम किए जा सकते थे।
यात्रियों को अपनी सुरक्षा खुद ही करना होगी
रेलवे प्रशासन की ओर से स्टेशन पर कोई सुविधा जैसे पानी, सुरक्षा का इंतजाम नही था। प्रीतम नगर रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद एक युवती परेशान होती रही। उसी समय एक महिला को लेने उनका परिवार स्टेशन पहुंचा था, उन्होंने युवती को फोरलेन तक लिफ्ट देकर सुरक्षित पहुंचाया। स्टेशन के बाहर इतना अंधेरा था की कोई भी हादसा यात्रियों के साथ हो सकता था। बरहाल यात्रियों को अपनी सुरक्षा खुद ही करना होगी क्योंकि कुछ अधिकारियों के भरोसे अपनी सुरक्षा को खतरे में नहीं डाला जा सकता है।
रेलवे के जनसंपर्क विभाग से जानकारी मिली की घटना में कोई जनहानि नहीं हुई डेमो पैसेंजर ट्रेन में आग की सूचना मिली थी। आग पर काबू पा लिया गया है। अधिकारियों द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं। डेमू ट्रेन को लाने के लिए रतलाम से लाइट इंजन रवाना किया गया तथा 19.19 बजे डेमू ट्रेन घटना स्थल से यात्रियों को लेकर रवाना हुई।