खबरगुरू (रतलाम) 21 मई। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रदेश पदाधिकारियों द्वारा जनजागृत अभियान स्वरूप श्री कैलाशनाथ काटजू विधि महाविद्यालय में प्राध्यापक और विद्यार्थियों के मध्य चर्चा करते हुए भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं समय देश के भीतर और बाहर भारतीय भाषाओं के समर्थक एवं इस दिशा में कार्यरत सभी व्यक्तियों को एक मंच पर लाने के उद्देश्य कार्यक्रम आयोजित किया गया इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सत्यनारायण शर्मा प्रांत संयोजक भारतीय भाषा अभियान पूर्व प्राचार्य सम्राट विक्रमादित्य विधि महाविद्यालय उज्जैन ने बताया कि भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं समय देश के भीतर और बाहर भारतीय भाषाओं के समर्थक एवं इस दिशा में कार्यरत सभी व्यक्तियों को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से 20 दिसंबर 2015 को भारतीय भाषा मंच का गठन किया गया।
जानकारी देते हुए न्यास के जयेश राठौर ने बताया कि जब हमें ऐसा प्रतीत हुआ कि देश के न्यायालयों में जनता को जनता की भाषा में न्याय मिले, इस हेतु हमने न्यायपालिका और विधि शिक्षा में भी भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रयास आरंभ किए। आज परिणाम के रूप में हम देख सकते हैं कि देश के उच्च न्यायालयों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक भारतीय भाषाओं में न्याय मिलने आरंभ हो गए हैं ।
न्यास के आयामों के साथ ही शिक्षा में महिला संबंधी विचार की दिशा भारतीयता आधारित बने-डॉ गीता नायक
डॉ गीता नायक प्रकल्प परिवार मे संवाद की भाषा की राष्ट्रीय संयोजक एवं विक्रम विश्व विद्यालय कार्य परिषद सदस्य पूर्व हिंदी विभाग ने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने कहा कि आज दस विषयों, तीन आयामों और तीन कार्य विभागों के साथ न्यास कार्यरत्त होने के साथ साथ वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन, शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत, तथा देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के साथ अपने महत्वपूर्ण विषयों पर अखिल भारतीय स्तर पर कार्यरत है। शिक्षा क्षेत्र में वर्तमान में महिलाओं की साक्षरता, सक्रियता, निर्णय प्रक्रिया में भूमिका बढ़े, इस पर न्यास द्वारा विचार-विमर्श, परीक्षण, सर्वेक्षण, कार्यक्रम आदि के माध्यम से सहभाग बढ़ाना। न्यास के आयामों के साथ ही शिक्षा में महिला संबंधी विचार की दिशा भारतीयता आधारित बने, शिक्षा में परिवर्तन के कार्य में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी बढ़े, उनका आपस में संवाद हो। इस भूमिका के साथ निम्न विषयों पर काम शुरू किया है-विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रमों में महिला विषयक पाठ्य सामग्री का परीक्षण तथा आवश्यकतानुसार बदलाव हेतु प्रयास। विभिन्न क्षेत्रों में महिला नेतृत्व सम्पर्क एवं संवाद स्थापित करना। पत्राचार एवं लेखिकाओं से सम्पर्क। प्रांतों में महान नारियों के योगदान पर अध्ययन करना एवं कार्यक्रम आयोजित करना। प्रांतों में शिक्षा में महिलाओं की स्थिति को बेहतर करने हेतु प्रयास करना।
आवश्यक प्रशासन तंत्र के सूत्रधारों का चयन भी हो इस हेतु न्यास का यहां प्रकल्प प्रतिबद्ध – डॉ नीरज सारवान
डॉ नीरज सारवान सह संयोजक प्रतियोगिता परीक्षा प्रकल्प के बारे में बताया किदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रणाली भारतीय आर्थिक सामाजिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक आवश्यकताओं के अनुरूप तथा सक्षम, पारदर्शी एवं न्यायसंगत बने। इन परीक्षाओं में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त कर भारतीय भाषाओं के विकल्प की व्यवस्था हो। विभिन्न प्रकार की विविधताओं को एक समरस चागे में बांधकर भारत देश में सुशासन प्रदान करना एवं इस आवश्यक प्रशासन तंत्र के सूत्रधारों का चयन भी हो इस हेतु न्यास का यहां प्रकल्प प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए राज्यों में भी परीक्षा प्रणाली में सुधार हेतु न्यास कार्यरत है ।
पदाधिकारियों द्वारा स्मारिका ज्ञानोदय 2079 की प्रतियां भेंट की
इस अवसर पर एक देश एक नाम इंडिया नहीं भारत किए जाने हेतु हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसमें कैलाश काटजू विधि महाविद्यालय , शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय में बड़ी संख्या में सहभागिता कर समर्थन कर हस्ताक्षर किए गए ।
न्यास के पदाधिकारियों द्वारा स्मारिका ज्ञानोदय 2079 की प्रतियां भेंट की। इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति न्यास के डॉ अनुराधा तिवारी ने आभार , पूर्व छात्र नेता जयेश राठौर ने अतिथियों का परिचय कराया , प्राचार्य वाय के मिश्र, प्रो शर्मा , एवं अन्य विभाग के प्राध्यापकगण मौजूद रहे।