रक्षा मंत्रालय के द्वारा शहीद, विकलांग, लापता अफसरों और जवानों के बच्चों की ट्यूशन की फीस को 10 हजार रुपए तक सीमित करने के फैसले का विरोध हो रहा है. रक्षा मंत्रालय पर लगातार ट्यूशन फीस की लिमिट वापस लेने का दबाव बन रहा है. विरोध के कारण मंत्रालय पर फैसला वापस लेने का दबाव बन रहा है. जिसके बाद रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस फैसले की समीक्षा करने की बात कही है. इस बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामण ने भरोसा दिलाया है कि सरकार ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएगी, जिससे शहीदों के परिवार वालों को परेशानी उठानी पड़े.
नेवी चीफ सुनील लांबा ने भी रक्षा मंत्रालय को इस फैसले पर समीक्षा करने के लिए पत्र लिखा है. एडमिरल सुनील लांबा चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन भी हैं. सरकार का ये फैसला जुलाई से लागू हो चुका है.
दरअसल पिछले दिनों सरकार ने शहीदों के बच्चों की ट्यूशन और हॉस्टल फीस की सीमा तय कर दी थी, जिसका अब हर ओर विरोध हो रहा है. 13 सितंबर को रक्षा मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ एक्स सर्विसमेन वेलफेयर ने इस बाबत आदेश जारी किया. जिसमें शहीद, विकलांग और लापता अफसरों के बच्चों की ट्यूशन फीस की भुगतान सीमा 10 हजार रुपये प्रतिमाह तय कर दी गई थी.