ख़बरगुरु 3 फरवरी : 27 वर्ष बाद मौनी अमावस्या पर फिर से वही योग पड़ रहे हैं जो वर्ष 1992 में पड़े थे। अनेक योगों के पड़ने से पर्व का महत्व और बढ़ गया है। रविवार से तीर्थ यात्रियों का हरिद्वार आना शुरू हो जाएगा।
वर्ष 1992 में तीन फरवरी के दिन मौनी अमावस्या सोमवार को पड़ने के कारण सोमवती हो गई थी। संयोग से उस दिन हरिद्वार अर्द्धकुंभ का प्रमुख स्नान भी था। इसी प्रकार इस बार मौनी अमावस्या चार फरवरी सोमवार को पड़कर सोमवती हुई है और प्रयाग अर्द्धकुंभ का मुख्य स्नान इसी दिन पड़ रहा है।
इस बार की मौनी अमावस्या दरिद्र योग, ग्रहण योग, केमुद्रम योग और शक्त योग लेकर भी आई है। इसका अर्थ है कि जिनकी कुंडली में ये योग हों, गंगा स्नान करने से उनका दुर्योग मिट जाएगा। यह पर्व व्यवसाय, संतान और भौतिक सुख भी लेकर आ रहा है। गंगा आदि पवित्र नदियों में एक भी गोता लगाने के जन्म जमान्तर के पाप मिट जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रहकर तिल, दूध और गुड़ तिल से बनी वस्तुओं का दान करना चाहिए। इस दिन मौन व्रत का विशेष महत्व है। यह पर्व उत्तरायण में पड़ने से और भी अधिक महत्वपूर्ण हो चला है।
इस बार सोमवती व मौनी अमावस्या पर महोदय योग भी बन रहा है। यह दुर्लभ योग 71 वर्ष बाद कुंभ के दौरान बन रहा है। इस योग में गंगा स्नान, दान पुण्य करने से राहु, केतु व शनि से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलेगी।