खबरगुरू (इंदौर) 5 दिसंबर। मध्य प्रदेश में स्कूल बसों के हादसों को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला 2018 में हुए डीपीएस स्कूल बस हादसे से जुड़ी याचिकाओं पर आया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में 12 साल से पुरानी बसों का संचालन नहीं होगा। इसके अलावा बसों में स्पीड गवर्नर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य होंगे, ताकि बसों को ट्रैक किया जा सके।
5 जनवरी 2018 को दिल्ली पब्लिक स्कूल निपानिया की बस बायपास पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में चार विद्यार्थियों और बस ड्राइवर की जान चली गई थी। इसके बाद शहर के लोगों और अभिभावकों ने स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने यह अहम फैसला सुनाया।
कोर्ट ने गाइडलाइन का पालन करवाने की जिम्मेदारी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को सौंपी
कोर्ट ने राज्य सरकार को स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए 25 बिंदुओं पर काम करने को कहा है। प्रत्येक स्कूल को किसी वरिष्ठ शिक्षक या कर्मचारी को वाहन प्रभारी नियुक्त करना होगा। ड्राइवर के पास स्थायी लाइसेंस होना चाहिए और उसे कम से कम 5 साल का अनुभव होना जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ड्राइवर को वाहन चलाने का पर्याप्त अनुभव और कौशल है या नहीं। कोर्ट ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को गाइडलाइन का पालन करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
कोर्ट ने बनाई यह गाइडलाइन
कोई भी स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी।
प्रत्येक स्कूल बस में सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की जगह होगी।
स्कूल बस पर स्कूल का नाम, पता, टेलीफोन नंबर और व्हीकल इंचार्ज के संपर्क नंबर की पट्टी लगाना जरूरी है। ताकि, इससे बस की पहचान स्पष्ट हो सके और इमरजेंसी स्थितियों में तुरंत संपर्क किया जा सके।
स्कूल बस को पीले रंग से रंगा जाएगा और वाहन के आगे और पीछे स्कूल बस या आन स्कूल ड्यूटी लिखवाना होगा।
प्रत्येक स्कूल बस में आपात स्थिति से निपटने में प्रशिक्षित एक परिचारक होगा।
ल बसों में फर्स्ट एड किट और फायर एक्सटिंग्विशर यंत्र होना अनिवार्य है। यह दोनों उपकरण किसी भी इमरजेंसी स्थिति में तुरंत मदद प्रदान करते हैं। फर्स्ट एड किट में चोटों और बीमारियों के लिए जरूरी सामान होता है। जबकि अग्निशमन यानी फायर एक्सटिंग्विशर यंत्र किसी आग की घटना को कंट्रोल कर सकता है।
ड्राइवर के पास स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस और पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए। ऐसे ड्राइवर जिन्होंने एक वर्ष में दो से ज्यादा बार सिग्नल जंप किया है, वे स्कूल बस नहीं चला सकेंगे।
संस्था को ड्राइवर से नियुक्ति के समय एक शपथ पत्र भी प्राप्त करना चाहिए। इस शपथ पत्र में ड्राइवर को यह बताना होगा कि वह सभी सुरक्षा नियमों का पालन करेगा, बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा और कोई भी अपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं होगा।
स्कूल बस में दाहिनी ओर एक आपातकालीन दरवाजा और गुणवत्ता वाला लाकिंग सिस्टम होगा।
स्कूल बस में सिर्फ और सिर्फ विद्यार्थी, शिक्षक या पालक ही बैठ सकेंगे।