खबरगुरु (रतलाम) 16 मई। कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बीच कोविड-19 मरीजों और महामारी से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के खतरे ने चिंता बढ़ा दी है। ब्लैक फंगस कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीजों को अपना निशाना बनाता है। कोरोना पीड़ित की इम्युनिटी कम होने से यह हावी हो रहा है। खासकर डायबिटीज के पेशेंट को अधिक खतरा है। डॉक्टरों का मानना है कि यह नाक से होकर जबड़े और मस्तिष्क में पहुंच रहा है।
जिले में भी इस बीमारी की आमद हो गई है। रतलाम के मरीज को इंदौर में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए भर्ती किया गया है। शनिवार को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री और कोविड प्रभारी मंत्री डाॅ. मोहन यादव रतलाम थे। प्रभारी मंत्री ने ब्लैक फंगस बिमारी के बढ़ते मामले को देखते हुए मेडिकल कॉलेज में 20 बेड का अलग वार्ड बनाने की बात कही। मरीज में ऐसे लक्षण पाए जाते ही उनके तुरंत इलाज की व्यवस्था की जा सके। उन्होंने निर्देश दिए कि ईएनटी स्पेशलिस्ट को इस वार्ड प्रभारी भी बना दें। कॉलेज में मेन पावर बढ़ाने के लिए शासन स्तर पर सभी प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर भी यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
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ब्लैक फंगस मरीज का इंदौर में उपचार जारी
टीआईटी रोड रतलाम पर रहने वाले धर्मपाल चौहान को कोरोना हो गया था। मरीज का कोरोना का इलाज रतलाम के निजी अस्पताल में चला। कोरोना तो ठीक हो गया और रिपोर्ट भी नेगेटिव आ गई, किंतु उसके बाद चेहरे पर काफी सूजन आ गई थी। डॉक्टर खंडेलवाल को दिखाया उन्होंने इंदौर जाने की सलाह दी। इंदौर में ब्लैक फंगस होने की पुष्टि हो गई। इलाज के लिए चोइथराम में भर्ती किया गया है जहां मरीज का उपचार किया जा रहा है। ब्लैक फंगस के इलाज में लगने वाले इंजेक्शन के लिए मरीज के परिजन भटक रहे है। इंदौर, भोपाल में भी इंजेक्शन की उपलब्धता नही हो रही है।
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रतलाम के ब्लैक फंगस मरीज की जानकारी नहीं है। ब्लैक फंगस बिमारी के लिए हम सतर्क है। किसी भी मरीज को ब्लैक फंगस का प्राथमिक उपचार देने के लिए 10 बेड का अलग वार्ड बनाए जाने का कार्य प्रारंभ हो गया है। हालांकि इसके आगे के इलाज के लिए मरीज को इंदौर रेफर किया जाएगा। क्योकि इसके लिए सुविधा अभी रतलाम में उपलब्ध नहीं है।
डॉ जितेन्द्र गुप्ता, डीन – शा. मेडिकल कॉलेज रतलाम