खबरगुरु (रतलाम) 25 फरवरी। बिजली के पोल पर लाइन ठीक करने चढ़े बिजली ठेकेदार के कर्मचारी लोकेंद्र सिंह की बुधवार को करंट लगने से मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने गुरूवार सुबह लगभग 11 बजे बिजली विभाग पहुचकर हंगामा किया। परिजनों का कहना था कि बिजली काम के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति को पोल पर चढ़ाना चाहिये साधन उपलब्ध कराना चाहिए।
बिजली विभाग और उनके अफसरों की लापरवाही लोकेंद्र सिंह के लिए मौत की वजह बन गई। अधूरे सुरक्षा किट के साथ पोल पर लाइन ठीक करने चढ़े ठेकेदार के कर्मचारी की करंट लगने से मौत हो गई। बुधवार दोपहर हुए इस हादसे के बाद विभाग में हड़कम मच गया था।
4 लाख की सहायता राशि का प्रावधान है जो दिया जाएगा
आक्रोशित परिजनों एवं अन्य कर्मचारियों व परिजनों ने गुरूवार सुबह एमपीईबी में जमकर हंगामा किया, सुबह अपनी बात रखने परिजन जब एमपीईबी पहुंचे तो अधिकारी नहीं मिले जिससे नाराज होकर परिजनों ने हंगामा किया। काफी देर तक एमपीईबी में कार्यपालन यंत्री के कक्ष में हंगामा जारी रहा, वही तहसीलदार भी एमपीईबी पहुंचे। करीब 1 घंटे के हंगामे के बाद अधिकारी द्वारा लाइन मेन को निलंबित किये जाने, और लापरवाही की जांच के आदेश के बाद हंगामा शांत हुआ। कार्यपालन यंत्री ने कहा कि 4 लाख की सहायता राशि का प्रावधान है जो दिया जाएगा।
यह था मामला
बुधवार दोपहर करीब 3 बजे रामबाग में लाइन ठीक करने के लिए लोकेंद्र सिंह पोल पर चढ़ा। लाइन ठीक करते समय वह करंट की चपेट में आ गया। गंभीर हालत में लोग उसे लेकर जिला अस्पताल में आए। गंभीर हालत को देख चिकित्सकों ने इंदौर रैफर कर दिया जहां रास्ते में लोकेन्द्र की मौत हो गई। इसके बाद रात में लोकेंद्र सिंह के शव को वापस रतलाम जिला अस्पताल लाया गया, गुरुवार सुबह शव का पीएम कर परिजनों के सौंपा गया ।
यह है नियम
नियम ये कहता है कि किसी भी बिजलीकर्मी के पोल पर चढ़ने से पहले बाकायदा फीडर से इलाके की बिजली को काटा जाता है, जिसे शटडाउन कहते हैं। इसके अलावा पोल पर चढ़ने वाले कर्मचारी को सेफ्टी किट के साथ ही पोल पर चढ़ने की इजाजत होती है। सेफ्टी किट में हाथ और पैर में ग्लब्स के अलावा सेफ्टी बेल्ट भी अनिवार्य है, लेकिन इस घटनाक्रम में सुरक्षा से जुड़े इन मानकों की अनदेखी की गई।