खबरगुरु (रतलाम) 28 जून। अपने शहर में, अपने ही लोगों द्वारा, अपने ही यहां के साहित्यकार के नाम स्थापित सम्मान किसी भी बड़े सम्मान से कहीं अधिक महत्व रखता है । अपने घर में मिला स्नेह और सम्मान दुनिया की दौलत से बड़ा और महत्वपूर्ण होता है। उक्त विचार जनवादी लेखक संघ द्वारा स्थापित दानिश अलीगढ़ी स्मृति सम्मान-2022 से सम्मानित वरिष्ठ भाषाविद डॉ. जयकुमार ‘जलज’ ने अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि दानिश अलीगढ़ी ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से देश में शहर का नाम रोशन किया था । अब उनके नाम पर स्थापित सम्मान मुझे प्रदान किया गया है , यह मेरे लिए गौरव की बात है।
वयोवृद्ध कवि माहेश्वरी के हाथों सम्मान
रचनाशील व्यक्तित्व एवं अपनी ग़ज़लों से उर्दू काव्य परंपरा को समृद्ध करने वाले मरहूम शायर श्री दानिश अलीगढ़ी की स्मृति में स्थापित ‘दानिश अलीगढ़ी स्मृति सम्मान -2022’ से भाषाविद, कवि एवं गीतकार डॉ. जयकुमार ‘जलज’ को सम्मानित किया गया। वर्षा एवं स्वास्थ्य कारणों से डाॅ. जलज के निवास पर आयोजित सम्मान समारोह में 93 वर्षीय वयोवृद्ध कवि श्याम माहेश्वरी ने डॉ. जयकुमार ‘जलज’ को शाल, श्री फल, साफा पहनाकर सम्मान पत्र भेंट किया। इस अवसर पर श्रीमती प्रीति जलज का भी अभिनंदन किया गया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि प्रो. रतन चौहान ने कहा कि जनवादी मूल्यों के साथ जलज जी का गहरा नाता रहा है। अपने लेखन के माध्यम से उन्होंने सदैव शोषित और वंचितों के पक्ष में आवाज़ बुलंद की । उन्होंने उन धारणाओं को भी चुनौती दी जो सामंतवादी पक्षों को बढ़ावा देती थी। यह सम्मान उनकी मानवीयता और उनके सामाजिक सरोकारों को पुष्ट करता है।
सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए जलेसं अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने कहा कि जलेसं अपने वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित करते हुए नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने का प्रयास भी कर रहा है।
सचिव एवं दानिश अलीगढ़ी स्मृति सम्मान के संयोजक शायर सिद्दीक़ रतलामी ने कहा कि दानिश अलीगढ़ी देश के ख्यातनाम शायर रहे हैं । उन्होंने रतलाम को देश स्तर पर उर्दू अदब का मरकज़ बनाने का ख़ूब जतन किया ।महत्वपूर्ण मुशायरों और कवि सम्मेलनों का आयोजन किया । देश के ख्यातनाम शायरों में कवियों को रतलाम में बुलाकर रतलाम की एक अदबी पहचान कायम की । उनकी स्मृति में जनवादी लेखक संघ रतलाम ने प्रतिवर्ष स्मृति सम्मान समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है । पहला सम्मान देश के ख्यातनाम भाषाविद्, कवि डॉ जयकुमार ‘जलज’ देते हुए जलेसं गौरवान्वित है।
वरिष्ठ कवि युसूफ जावेदी ने कहा कि यह हमारी पीढ़ी का सौभाग्य रहा कि डॉ. जयकुमार ‘जलज’ रतलाम महाविद्यालय में सेवारत रहे और सेवानिवृत्ति के पश्चात यहीं निवासरत हैं । जलज जी से मिलना, बातें करना ठीक ऐसा है, जैसे कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की शहनाई सुनना या फिर पंडित रविशंकर के सितार के तारों के साथ-साथ झंकृत हो जाना ।
इस अवसर पर जलज जी के गीतों की सुरीली प्रस्तुति भी दी गई। कीर्ति शर्मा ने डॉ. जलज का गीत ‘ एक जतन और’ की प्रस्तुति दी।आशीष दशोत्तर ने डॉ. जलज के गीत ‘धार में सम्भलो न संभलो तुम’ को सुमधुर पेश किया। सिद्दीक रतलामी ने दानिश अलीगढ़ी की ग़ज़लें पेश की। आत्मीय समारोह में श्रीमती इन्दु सिन्हा, श्री मांगीलाल नगावत, विष्णु बैरागी, सुरेन्द्र छाजेड़, डॉ मुनीन्द्र दुबे, पद्माकर पागे, श्याम सुन्दर भाटी, प्रकाश हेमावत ने भी जलज जी का स्वागत किया। संचालन युसूफ़ जावेदी ने किया तथा आभार रणजीत सिंह राठौर ने व्यक्त किया। आयोजन में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।