खबरगुरु (रतलाम) 16 अप्रैल। कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे देश और दुनिया में हालात खराब हैं। दैनिक आंकड़ों के साथ-साथ मौतों की संख्या और भी डराने लगी है। रफ्तार के कम होने के अभी कोई आसार भी नहीं दिख रहे हैं। रोज 15 से अधिक शव मेडिकल कॉलेज से निकल रहे है। मुक्तिधाम में बने प्लेटफॉर्म की जगह पर ही नहीं बल्कि, मुक्तिधाम में हर कोने और खाली स्थान में लोग शवों को जलाने में जुटे हुए हैं। अब तो ऑक्सीजन खत्म होने का डर सभी को सताने लगा है।
लगभग 7 से 8 मेट्रीक टन ऑक्सीजन प्रतिदिन उपयोग में आ रही है। मरीजो को 4 से 18 लीटर तक ऑक्सीजन लगाई जा रही हैं। जानकारी के मुताबिक टेंकर से ऑक्सीजन की उपलब्धता मेडिकल कॉलेज को हो गई है। पर संकट अभी भी टला नहीं है। ऑक्सीजन की मांग बढ़ती ही जा रही है। प्रायवेट अस्पतालो में ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजो को जीएमसी रेफर किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के हाल यह है कि एक भी ऑक्सीजन बेड खाली नहीं है। ऑक्सीजन की कमी पूरे प्रदेश में बनी हुई है, इसमें रतलाम भी अछूता नहीं है। हालांकि प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने पिछले दिनों व्यवस्थाओं को शीघ्र ठीक करने की बात कही थी। इस संकट के समय में भी आपदा में अवसर तलाशने वालों की कमी नहीं है। रोज कई शिकायते प्रशासन और जिम्मेदारों के पास तक पहुंच रही है। और शिकायतों को दबाने की भरपूर कोशिश जिम्मेदारों की ओर से की जा रही है। प्रशासन लाख दावे कर ले पर हालात पटरी पर आते नहीं दिख रहे हैं।
[box type=”shadow” ]कई शवों का मुक्तिधाम परिसर के बाहर अंतिम संस्कार किया जा रहा
आलम ये है कि, मुक्तिधाम में जिसको जहां जैसी जगह मिल रही है, वो समय पर अपने परिचित के शव को मुघाग्नि देने में जुटा हुआ है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मुक्तिधाम में 10 शवों के मुखाग्नि देने की जगह बनी है। लेकिन, मुक्तिधाम के आंकड़ों के मुताबिक, यहां रोजाना औसतन 20 से अधिक शव कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार के लिये आ रहे हैं। यही वजह है कि, अब न सिर्फ मुक्तिधाम में बने प्लेटफॉर्म की जगह पर ही नहीं बल्कि, यहां के हर कोने और खाली स्थान में लोग शवों को जलाने में जुटे हुए हैं। कई शवों को तो मुक्तिधाम परिसर के बाहर तक अंतिम संस्कार किया जा रहा है।[/box]
रोज कई शिकायतें प्राप्त हो रही है
अब तो सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूटने लग रहा है। मेडिकल कॉलेज में सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात हो या रेमडीसीवीर इंजेक्शन लगाते समय वीडियो बनाने की बात हो ये सभी भावनाए लोगों की अब बाहर आने लगी। अभी भी लोगों को रेमडीसीवीर इंजेक्शन के लिए भटकते हुए देखा जा रहा है। हर कोई अपनों को बचाने का संपूर्ण प्रयास कर रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि रोज हमें भी कई शिकायतें प्राप्त हो रही है। ऐसा नहीं है कि कोई भी अपना काम ठीक से नहीं कर रहा है, पर कहते हैं ना एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती हैं। कुछ परसेंट ऐसे जिम्मेदार जिन्होंने पूरे सिस्टम को बदनाम कर दिया है, उन पर प्रशासन की लगाम लगनी चाहिए।
[box type=”shadow” ]भर्ती मरीजों के 5-6 दिनों तक सैम्पल ही नहीं लिए जा रहे
जानकारी में आया है कि भर्ती किये गए मरीजो के 5 दिनो तक सैंपल भी नहीं लिए गए। अब पता कैसे चलेगा की मरीज पॉजिटिव है या नहीं। 5 से 6 दिनों में रिपोर्ट आने की सूचना तो मिली थी वो तो समझ आता है पर अब तो भर्ती सीरियस मरीज के पांच-पांच दिनों तक सैंपल नहीं लिए जाने की खबर भी चौका आ रही है। 5 दिनों तक जब रिपोर्ट नहीं मिलती है तो कस्टमर केयर पर परिजनो द्वारा सम्पर्क किया जा रहा है तब पता चलता है कि टेस्ट ही नहीं किया गया हैं। ऐसे ही एक मामले में मरीज की परीजन ने बताया की 5 दिन पूर्व उनकी माताजी को भर्ती किया गया था। आज जब रिपोर्ट के बारे में जानना चाहा तो पता चला कि सैंपल ही नही लिए गए है। हम 5 दिनों से रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है। जिम्मेदारों की इस गलती का खामियाजा भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। परिजन भटके जा रहे हैं रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं पर 5 दिन बाद पता चलता है मरीज का टेस्ट भी नहीं किया गया हैं।
[/box]मेडिकल कॉलेज में मरीजो की भर्ती के बाद हर जगह भ्रष्टाचार
शिकायत तो यहां तक है कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने से लेकर मरीज के मरने के बाद भी भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। भ्रष्टाचार की सीमा इतनी बढ़ चुकी है कि मरीज को पेशाब करने जाने के लिए भी 10 रुपये देने पड़े है। मरीज के परीजनो का ये भी आरोप है कि मरीज के मरने के बाद उसकी बॉडी पैक करवाने के लिए भी पैसे देना पड़ रहे हैं। हालांकि ऐसा काम कुछ लोग कर रहे हैं पर बदनामी पूरे सिस्टम की हो रही है।
सीसीटीवी कैमरे लगाने की उठने लगी है मांग
आए दिन कई घटनाएं प्रदेश में देखने को मिल रही है। जिसको देखते हुए अब तो सीसीटीवी कैमरे मेडिकल कॉलेज में लगाने की मांग उठने लगी है। लोग सोशल मीडिया पर लिखने लगे हैं कि मेडिकल कॉलेज में सीसीटीवी कैमरे लगाया जाए। जब मरीज को भर्ती किया जाता है तब उनके परिजनों को उनकी ज्वेलरी देने की रिकॉर्डिंग की जा रही है, परंतु जब मरीज को रेमडीसीवीर इंजेक्शन लगता है उसकी रिकॉर्डिंग क्यों नहीं की जाती? यह सवाल भी अब चर्चा का विषय बन गया!!
खबर के संबंध में प्रशासन के आला अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु कोई भी जिम्मेदार अधिकारी फोन उठाने को तैयार नहीं। और कोई फोन उठाता है तो मीटिंग का हवाला देकर जवाब देने से बच जाता है।