खबरगुरु (रतलाम) 13 जुलाई। संसार में भगवान शंकर की आठ मूर्तियों का स्वरूप ही संपूर्ण मूर्ति समूह में ही व्याप्त है । सर्व, भव रुद्र उग्र भीम पशुपति, ईशान और महादेव में भगवान शंकर की 8 मूर्तियां हैं । यह बात कालिका माता मंदिर प्रांगण में श्री शिव आराधना महोत्सव को संबोधित करते हुए तपो मूर्ति वितराम शिरोमणि परम पूज्य स्वामी निर्मल चैतन्य पुरी जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहीं । कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट, श्री शिव आराधना महोत्सव समिति द्वारा श्रावण मास के दौरान 4 जुलाई से 30 अगस्त तक विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा और क्षेत्रज्ञ यह भगवान शंकर के आठो रूपो में अधिप्ष्ठित है । विनाशी शरीर के द्वारा अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति इन्हीं आठो रूपों का नित्य निरंतर जप, ध्यान ,उपासना, पूजन अर्चन आराधना करने से प्राप्त होती है । संसार में समस्त प्राणियों को अगर किसी का भय है तो वह मृत्यु का है। मृत्यु लोक में आने वाले सभी प्राणी मृत्यु से बच नहीं सकते ,मृत्यु तो जन्म लेने वाले के शरीर के साथ ही जन्म ले लेती है । जब जीव पैदा होता है मृत्यु उसी जीव के साथ ही पैदा होती है और मृत्यु सदैव उसके साथ रहती है यदि प्राणी मृत्यु के भय से मुक्त होना चाहता है तो भगवान अष्टमूर्ति स्वरूप महादेव की शरण में जाएं, जब तक जिव भगवान की शरण में नहीं जाता तब तक मृत्यु का भय उसके साथ बना रहता है। मृत्यु के भय से उनमुक्त होने के लिए पवित्र तन मन से शिव आराधना करना अत्यंत आवश्यक है । पवित्र भाव के बिना की गई भगवान की आराधना को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं इसलिए तन मन को पवित्र करके ही मनुष्य को भगवान की आराधना करनी चाहिए ।