खबरगुरु 12 मई। कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद अब उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण दिख रहे हैं। इसे म्युकरमाइकोसिस भी कहा जाता है। पहले शुगर वाले मरीजों में इस तरह के मामले मिलते थे। संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस होने का खतरा बढ़ रहा है। रिकवरी के दौरान और रिकवरी के बाद भी ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मौत भी हो सकती है। म्युकरमायोसिस का असर कोविड संक्रमित मरीजों नाक व आंख पर पड़ता है। कई मरीजों की मस्तिष्क पर ही यह असर डालता है। जिन मरीजों को डायबिटिज होता है, उन्हें यह ज्यादा प्रभावित करता है।
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क्या होता है म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फंगस)
एक तरह का फंगल इंफेक्शन है, जो कि म्यूकर फफूंद ( Mucor Fungus) के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है। सांइस मानता है कि ये फफूंद हर जगह होता है और इंसानों में ये हमारे कफ यानी कि बलगम और नाक में होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन कोरोना मरीजों में संक्रमण के इलाज के लिए स्टेरॉइड्स दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनमें इस बीमारी के होने का खतरा सबसे ज्यादा है। यही कारण है कि डायबिटीज के कोरोना पीड़ित मरीजों को इस बीमारी का सबसे आसान शिकार माना जा रहा है। इसके अलावा ऐसे मरीज जिनका इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर है। इनमें एचआईवी, एड्स, कैंसर व दूसरे गंभीर मरीज भी शामिल हैं।
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ये हैं ब्लैक फंगस के लक्षण
- नेजल ड्राइनेस -नाक बंद होना
- नाक से अजीब से कलर या काले खून का डिस्चार्ज होना
- आंख खोलने में दिक्कत होना
- अचानक से दोनों आंख या एक आंख से कम दिखाई देना, आंख में सूजन होना है।[/box]