आज रिलीज हुई फिल्म ‘टाइगर ज़िदा है’ में सलमान आतंकवाद खत्म कर पूरी दुनिया में शांति लाने के मिशन पर निकलते हैं. अपने एक्शन से दर्शकों को इंटरटेन तो करते ही हैं साथ में वो आतंकवादियों को सफाया भी कर देते हैं.
फिल्म में एक बहुत ही दिलचस्प बात है कहानी को सुनाने का ढंग. अली अब्बास ने इसका बेहतरीन डायरेक्शन किया है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत उम्दा है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बहुत बढ़िया है. स्पाई थ्रिलर में एक अच्छी साई फाई फिल्म बनाई गई है.
कहानी
फिल्म की कहानी एक बार फिर से नए मिशन के साथ शुरू होती है जब भारत की अगवा नर्सों को इराक में रखा जाता है. दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन 25 भारतीय नर्सों को किडनैप कर लेता है. उन्हें वहां से बचा कर ला पाना असंभव है और अब इसके लिए टाइगर (सलमान खान) को चुना जाता है. इस मिशन में टाइगर का साथ देती हैं ज़ोया (कैटरीना कैफ) जो आईएसआई की एजेंट हैं. कहानी में परेश रावल और कुमुद मिश्रा की कैसे एंट्री होती और विलेन के रूप में सज्जाद की किस तरह की मौजूदगी है. अंतत क्या होता है, क्या भारत और पाकिस्तान के एजेंट, मिलकर नर्सों को बचा पाएंगे ये सब कुछ जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.