Categories

Post Widget 1

Heath Tips

  • In enim justo, rhoncus ut, imperdiet a
  • Fringilla vel, aliquet nec, vulputateDonec pede justo,  eget, arcu. In enim justo, rhoncus ut, imperdiet a, venenatis vitae, justo.Nullam dictum felis eu pede mollis pretium.

पचासवीं वर्षगांठ पर विशेष: असाधारण, कुशल और प्रभावी व्यक्तित्व ‘संजय द्विवेदी’

पचासवीं वर्षगांठ पर विशेष: असाधारण, कुशल और प्रभावी व्यक्तित्व ‘संजय द्विवेदी’

प्रो. संजय द्विवेदी को पचासवीं वर्षगांठ पर खबरगुरू डॉट कॉम परिवार की ओर से अनंत कोटि शुभकामनाएं।

 पवन कुमार पाण्डेय

आज प्रो. संजय द्विवेदी का जन्मदिन है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, माँ सरस्वती के उपासक, मीडिया-शिक्षण को अपनी पुस्तकों और शोध पत्रों के माध्यम से नई दिशा के बोध-कारक तथा संपूर्ण भारत में पत्रकारिता के उच्च मानक स्थापित करने वाले भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी एक पत्रकार ही नहीं, कुशल संपादक, लेखक, संस्कृतिकर्मी, मीडिया-गुरु, अकादमिक प्रबंधक एवं संचार विशेषज्ञ के नाम से संपूर्ण देश में जाने जाते हैं। जो भी उनसे एक बार मिल लेता है, वह सदैव उनका होकर रह जाता है। निरंतन लेखन, संपादन, शिक्षण, पर्यटन, दोस्ती, बातचीत, फिल्में देखना, पढ़ना उन्हें पसंद है। लेखन की कला पिता परमात्मानाथ द्विवेदी से विरासत में मिली है। वह श्रेष्ठ शिक्षक होने के साथ उच्च कोटि के लेखक भी हैं।

वह कहते हैं, ‘मेरे पास यात्राएं हैं, कर्म हैं और उससे उपजी सफलताएं हैं। मैं स्वयं को आज भी मीडिया का विद्यार्थी ही मानता हूं।’ उन्होंने ‘दैनिक भास्कर’, ‘स्वदेश’, ‘नवभारत’, ‘हरिभूमि’ जैसे अखबारों से शुरू कर के ‘जी 24 छत्तीसगढ़’ चैनल, फिर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि, रायपुर में पत्रकारिता विभाग के संस्थापक अध्यक्ष, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में दस साल प्रोफेसर, कुलपति व कुलसचिव जैसे दायित्वों का निर्वहन किया है।

एक कहावत है, ‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ को सही मायनों में उन्होंने बचपन में ही साबित कर दिया, जब ‘बालसुमन’ जैसी कई पत्रिकाओं का संपादन उन्होंने खुद के बूते कर दिखाया। बारहवीं तक की की शिक्षा अपने गृह जनपद में पूर्ण करने के उपरांत स्नातक की पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से एवं भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की। सच कहा जाए तो उनके पत्रकारिता के सपने को नई उड़ान भोपाल से मिली और यहीं रहते हुए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, बाबूराव विष्णु पराड़कर, माधव राव सप्रे और माखनलाल चतुर्वेदी को पढ़ते-पढ़ते वह उनके लेखन के प्रशंसक बन गए। भोपाल से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर दिल्ली, मुंबई, बिलासपुर, रायपुर जा पहुँचे और अपनी कलम द्वारा समाज से जुड़े मुद्दों को वाणी दी।

कर्मों में कुशाग्रता, सकारात्मक व्यवहार, मन में निश्चलता और हृदय में एकाग्रता, विनम्रता, स्वभाव से स्पष्टवादी तथा हँसमुख सहित तमाम नीति निपुणता उनकी विशेषता है। जो उनसे मिलता है वह उनका ही बन जाता है। उनके लेखन में सत्यनिष्ठता, ईमानदारी और भारतीय विचारधारा का विलक्षण समन्वय है। विनम्रता का भाव उनमें पूरी प्रतिष्ठा रखता है। एक राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर प्रो. द्विवेदी दशकों से हर विषय पर खुलकर लिखकर अपनी बात रखने के साथ ही साथ ही अपनी संवेदनाओं से समाज को देखने का नया दृष्टिकोण विकसित करने पर जोर देते हैं। समाज का प्रबुद्ध वर्ग उन्हें एक प्रतिबद्ध शिक्षक, एक कुशल प्रशासक, विद्वान शिक्षाविद्, भारतीय चिंतक, गहन मनीषी के रूप में जानता है, तो इसका कारण उनका लेखन है, जिसने सामाजिक जीवन के व्यावहारिक पक्षों को अपने माध्यम से नया स्वर दिया है। प्रो. द्विवेदी की संवाद शैली उन्हें एक कुशल संचारक बनाती है। जब वह बोलते हैं तो अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ श्रोता को मंत्रमुग्ध कर देते हैं और जब लिखते हैं तो बहुत संतुलित भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

जहां उन्होंने सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, प्रभाष जोशी, अच्युतानंद मिश्र, एसपी सिंह पर पुस्तक लिखी हैं, तो वहीं ‘मीडिया नया दौर नई चुनौतियाँ’, ‘मीडिया शिक्षाः मुद्दे और अपेक्षाएं’, ‘उर्दू पत्रकारिता का भविष्य’, ‘सोशल नेटवर्किंगः नए समय का संवाद’, ‘मीडिया भूमंडलीकरण और समाज’, ‘हिंदी मीडिया के हीरो’, ‘कुछ भी उल्लेखनीय नहीं’, ‘मीडिया की ओर देखती स्त्री’, ‘ध्येय पथ’, ‘राष्ट्रवाद, भारतीयता और पत्रकारिता’, ‘मोदी युग’, ‘अमृतकाल में भारत’, ‘मोदी लाइव’, ‘भारतबोध का नया समय’, ‘कुछ तो लोग कहेगें’ और ‘लोगों का काम है कहना’, उनकी कुछ चर्चित पुस्तकें रही हैं।

वक्त बदल रहा है, मीडिया बदल रहा है, मीडिया तकनीक बदल रही है, मीडिया के पाठक और दर्शक की रुचि, स्थिति और परिस्थिति भी बदल रही है। ऐसे में मीडिया अध्ययन, अध्यापन और कार्य करने वालों को खुद में बदलाव लाना आवश्यक है। इसके लिए मीडिया के मिजाज को समझना और समझाना आवश्यक है, जिसे प्रो. द्विवेदी ने समझा और समझाया भी है। वर्तमान में फेक न्यूज से बचने के लिए उन्होंने मूल मंत्र दिया है ‘बुरा ना टाइप करें, बुरा न लाइक करें, बुरा न शेयर करें’।

पवन कुमार पाण्डेय
Share This Post

Dr. Himanshu Joshi

2009 से पत्रकारिता में सक्रिय होते हुए वर्तमान में खबरगुरू डॉट कॉम में संपादक की भूमिका का निर्वहन किया जा रहा है। रतलाम प्रेस क्लब में 2022-2024 में उपाध्यक्ष का दायित्व।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Read also x

error: Content is protected !!