🔵 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देती रतलाम की ये महिलाएं
डॉ हिमांशु जोशी
खबरगुरु (रतलाम)। मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है इस बात को सच कर दिखाया है तुलसी और रामदास स्वयं सहायता समूह की लक्ष्मी राठौड, कला मकवाना, लीला मकवाना और सुशीला मकवाना ने। कभी खेत खलिहान में काम करने वाली ये महिलाएं आज कैफे की डायरेक्टर बनी हुई है। स्वाद, सेवा और सत्कार के आधार पर बुलंदियों का आसमान छू रही है। आजीविका मिशन की प्रेरणा एवं प्रोत्साहन से आज कई महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। मजदूरी से कैफे संचालक बनने के सफर में राज्य आजीविका मिशन ने सहयोग कर ऐसी कई महिलाओं के जीवन में खुशियां पहुंचाई हैं।
जिले की इन महिलाओं ने सामाजिक जिम्मेदारी के साथ घर की मर्यादा बनाए रखने, अपनी जीवटता, मेहनत और आत्मविश्वास से अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी अलग पहचान बनाई है। इन्होने साबित कर दिया हैं कि अगर हौसला पक्का हो तो कम पढ़ाई के बाद भी सपनों को साकार किया जा सकता है।
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सफर खेतिहर मजदूर से कैफे डायरेक्टर का
ये महिलाएं कभी खेतों में सुबह से शाम तक खुले आसमान के नीचे झुलसते हुए कड़ी मेहनत के साथ काम करती रही। क्योकि इन्हें मजदूरी के अलावा कुछ काम नहीं आता था। लेकिन हिम्मत और हौसला बुलंद था तभी तो आजीविका मिशन के जिम्मेदारों की नजर इन पर पड़ी। इन्हें प्रेरित किया कि वें कड़ी मेहनत कर आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इसके लिए इन्होनें कैफे संचालन का बीड़ा उठाया और चल दिए मंजिल की ओर।
साल के पहले दिन जिला पंचायत में शुरू हुआ कैफे
इन महिलाओं की टीम द्वारा संचालित महिला कैफे के इस काम को देख लोग उनके हौसले की तारीफ कर रहे हैं। गांव में पली-बढ़ी ये महिलाएं ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही है परंतु हौसलों में ये किसी से कम नहीं है। इन्होंने अपने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए महिला कैफे का संचालन करने का फैसला लिया। और इस नेक काम के लिए ग्रामीण आजिविका मिशन ने पूर्ण सहयोग किया। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने पर महिलाओं ने स्व सहायता समूह बनाया और 1 जनवरी 2020 बुधवार को साल के पहले दिन जिला पंचायत में पंचायत कैफे का श्रीगणेश को हुआ था।
हर परेशानियों का किया डट कर मुकाबला
1 लाख 60 हजार का लोन लेकर शुरू किए इस कैफे ने आज 20 माह का सफर तय कर लिया है। इन 20 माह के यहां तक के सफर में कई परेशानियां भी आई पर हर परेशानी का डट कर मुकाबला किया। शुरूआती दौर में आर्थिक संकट भी आए और कैफे खोलने के बाद कोरोना महामारी का संकट भी आ गया। संकट की इस घड़ी में भी सेवा कार्य जारी रखा। सरकारी कार्यालय में आने वाले कर्मचारियों के नाश्ता करना भी कम कर दिया था। संकट के इस दौर में समूह आर्थिक संकट से लड़ता रहा पर हिम्मत नहीं हारी। आर्थिक संकट से जुझते हुए भी बचत का ध्यान रखा।आमदनी में से पैसे बचाकर कैफे को संसाधनों से साधन संपन्न करने के लिए डीप फ्रिजर, माइक्रोवेव जैसी महत्वपूर्ण सामग्री भी खरीद ली गई। हालांकि चुनौतियां अभी भी हैं ।
कुशल व्यवसायी बन चुकी हैं ये महिलाएं
सुबह किराना लाने से लेकर शाम तक ग्राहकों के लिए चाय-काफी, नाश्ते का इंतजाम सबकुछ वे मिलकर करती हैं। शाम को कैफे मंगल करने से पहले पक्का हिसाब-किताब भी कर लेती हैं। अब कुशल व्यवसायी बन चुकी हैं ये ग्रामीण महिलाएं। अब तो गांव-गांव से कई समूह जूड़ने लगे है। गांव-गांव से महिला समूह द्वारा हस्तनिर्मित गृहउपयागी सामग्री भी स्टोर पर आने लगी है। मेहनत का परिणाम है की आज प्रतिदिन लगभग 2500 रुपये तक की बिक्री चाय, नाश्ते और भोजन से होने लगी है, साथ ही शासकीय कार्यालयों, प्रशिक्षण, कार्यशालाओं एवं बैठको में भी चाय, नाश्ता पहुंचाया जा रहा हैं।
इनकी प्रेरणा से शुरू हुए अन्य और कैफे
जिला पंचायत में चल रहे कैफे की तर्ज पर ही ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से जावरा, शिवगढ़, आलोट, बाजना जनपद में भी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कैफे का संचालन किया जा रहा हैं।
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इनका कहना है
सुशीला मकवाना ने खबरगुरु को बताया कि कैफे शुरू करने के पहले बहुत ड़र था, पर जब तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ संदीप केरकट्टा से मिले तो उन्होने हमें हिम्मत दी और कहा कि कैफे शुरू करने में जो भी सहयोग होगा हम करेंगे। लोन के लिए भी हरसंभव मदद के आश्वासन के बाद हमे कैफे संचालन के लिए कदम आगे बढ़ाया। तत्कालीन कलेक्टर रूचिका चौहान ने भी हमारा हौसला बढ़ाया। इन सभी के मार्गदर्शन में हम आज इस मुकाम तक पहुंच पाए है।
महिला स्वयं सहायता समूह की लक्ष्मी राठौड, लीला और कला बाई ने खबरगुरु को बताया कि स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पाद विक्रय केन्द्र की भी शुरूआत हो चुकी है। जिसके लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का पूण सहयोग मिल रहा है। जिला पंचायत सीईओ मीनाक्षी मैडम हमें समय-समय पर मार्गदर्शित करती रहती हैं। जिला परियोजना प्रबंधक हिमांशु शुक्ला सर भी हमें पूर्ण सहयोग करते हैं। भवन, बिजली की सुविधा भी हमें सरकार की ओर से मिले हैं। साबुन आम्बा से, जैकेट शिवगढ़ से, चूड़ी पिपलौदा से, कंडे जिनमें हवन की सामग्री शामिल है रावटी से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाकर हमें देती हैं। न्यूनतम शुल्क में हस्तनिर्मित सामग्री हम विक्रय केन्द्र के माध्यम से बेचते है।
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यहा की चाय पी कर मुख्यमंत्री भी कर चुके है तारिफ
सीएम शिवराजसिंह चौहान 26 अगस्त 2021 महा वैक्सीनेशन कार्यक्रम में रतलाम आए थें। कार्यक्रम के बाद अलकापुरी कम्युनिटी हॉल में स्थित वैक्सीनेशन सेंटर का निरीक्षण करने के बाद परिसर में लगी स्टॉल पर चाय का स्वाद भी लिया। यहां उन्होंने स्वसहायता समूह की महिलाओं से चर्चा की। जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर ने महिलाओं के स्वयं समूह द्वारा जिला पंचायत चलाए जा रहे रेस्टोरेंट के बारे में भी मुख्यमंत्री को जानकारी दी। सीएम ने कुल्हड़ में चाय पी और तारीफ करते हुए कहा की मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, खूब मेहनत करो और खूब आगे बढ़ो।
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क्या है स्वयं सहायता समूह
सरकार ने ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की स्थापना की जिससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। महिलाओं के स्तर को सुधारने और बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया। इस मिशन के तहत लाखों ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिल चूका है। स्वयं सहायता समूह में 10 से 20 महिलाओं का ग्रुप बनाकर उनका रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इनमें एक महिला को अध्यक्ष और एक महिला को सचिव और एक महिला को कोषाध्यक्ष बनाया जाता है और बाकी महिलाएं इनकी सदस्य होती है।
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स्वयं सहायता समूह का उद्वेश्य यही है कि महिलाएं एकत्र होकर कार्य के लिए आगे बढ़ें। तुलसी और रामदास स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने यही किया है जो कि सभी के लिए प्रेरणादायी है। मैं हमेंशा सभी लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने का कहती हूं। बच्चियां पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो सके ये सबसे अच्छी बात हैं, और जिनको पढ़ाई का अवसर नहीं मिल पाया हैं ऐसी महिलाओं से मेरा निवेदन हैं कि शासन द्वारा कई प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं योजनाएं होती हैं इन योजनाओं का सभी कों लाभ उठाना चाहिए। इनसें महिलाएं आत्मनिर्भर तो बनती हैं साथ ही कई समस्याओं को मिलजुल कर सुलझा सकती हैं।
श्रीमती मीनाक्षी सिंह
सी.ई.ओ., जिला पंचायत, रतलाम