खबरगुरु रतलाम 02 फरवरी । यह निर्विवाद सत्य है कि सभी जीवित प्राणियों की उत्पत्ति जल में हुई है। पानी के बिना जीवन नहीं रहेगा। इसी कारण अधिकांश संस्कृतियां नदी के पानी के किनारे विकसित हुई हैं। इस प्रकार ‘जल ही जीवन है’ का अर्थ सार्थक है। पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। विश्व झील दिवस के अवसर पर हमे संकल्प लेना चाहिए कि शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के साथ ही प्राचीन जल स्रोतों का भी संरक्षण करना और इन्हे सहजने में सभी की भागीदारी होना चाहिए। यह बात रतलाम स्वच्छता अभियान समिति के अध्यक्ष अनोखीलाल कटारिया ने कही।
श्री कटारिया मंगलवार को विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया के मार्गदर्शन में शहर के अमृतसागर बगीचे में नगर निगम आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे।
विशिष्ट अतिथि शहर के वरिष्ठ समाज सेवी व सेवानिवृत्त प्राचार्य ओ.पी.मिश्रा, कांतीलाल जी मेहता, समाज सेवी राधावल्लभ खण्डेलवाल, पर्यावरणविद
खुशालसिंह पुरोहित, विनोद मेहता, सुरेन्द्र सुरेका, अमृतलाल, राजेन्द्र पोरवाल, विनोद राठौर, इक्का बैलूत, अनिल कटारिया, मदन शर्मा रहे।
उपस्थित समाज सेवियों ने वेटलैंड के प्रति लोगो को जागरुक करते हुऐ कहा की नमी या दलदली भूमी को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है।
लगातार अनदेखी के कारण दुर्दशा का शिकार हुआ अमृत सागर
विश्व वेटलैंड दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम मेें अतिथियों ने कहां अमृतसागर प्राचीन है। किसी समय यह शहर का बड़ा तालाब हुआ करता था, लेकिन लगातार अनदेखी के कारण आज यह दुर्दशा का शिकार है।
तालाब के संरक्षण की बड़ी योजना जल्द ही लेगी साकार रूप
नगर निगम के प्रयासों से इस तालाब के संरक्षण की बड़ी योजना बनी है जो जल्द ही साकार रूप लेगी। इसके साथ ही नागरिकों को भी इस तालाब के साथ ही शहर के प्राचीन जल स्रोतों के संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए।
‘दुकानों के कचरे को सड़क, नाले व नालियों में नहीं फेंकेगे’ सभी लें संकल्प
इस मौके पर सफाई मित्र समूह के सदस्यों ने स्वच्छता का संदेश देने वाली आकर्षक रांगोली का निर्माण किया। श्री कटारिया ने शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि शहरवासियों को संकल्प लेना होगा कि हम अपने घर और दुकानों के कचरे को सड़क, नाले व नालियों में नहीं फेंकेगे। अपने कचरे का निपटान कचरा गाडियों में ही करेगे।
यह थे मौजूद
नगर पालिका निगम की ओर से सहायक यंत्री अरविन्द दशोत्तर, उद्यान पर्यवेक्षक अनिल पारा, विक्रमसिंह गेहलोत, जितेन्द्र, पवन, ईशवर, जगदीश, बाबु वरदा, पुष्कर मोहन, मनोहर नंदराम, सीमा दिनेश, कैलाश गणपत, मुकेश लक्षमणदास आदि उपस्थित रहे। संचालन शैलेंद्र गोठवाल ने किया।