खबरगुरु (नई दिल्ली) 26 अप्रैल 2020। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार शाम कोविड-19 महामारी मुद्दे पर संघ से जुड़े स्वयं सेवकों से ऑनलाइन माध्यम से बातचीत की। उन्होंने कहा- भारत ने आलस्य नहीं किया और जल्द फैसला लिया। निद्रा और तंद्रा यानी असावधानी। सोच-समझकर काम करना। भय और क्रोध को टालना।
भागवत ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब लोग कुछ नियमों और दिशा-निर्देशों से बंधे हुए थे, तब उन्हें लगा कि उन्हें कुछ चीजों को करने से प्रतिबंधित किया या रोका जा रहा है।
उन्होंने कहा कि संघ ने मार्च में ही निर्णय ले लिया था और जून अंत तक के अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया था। लेकिन कुछ लोगों को लग सकता है कि सरकार हमारे कार्यक्रमों को प्रतिबंधित कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो दूसरों को उकसाते हैं।
उन्होंने कहा- अगर कोई घटना होती है तो प्रतिक्रिया नहीं देनी है। भय और क्रोधवश होने वाले कृत्यों में हमें नहीं होना है और ये सभी अपने समाज को बताएं। दो संन्यासियों की हत्या हुई, उसे लेकर बयानबाजी हो रही है। लेकिन, ये कृत्य होना चाहिए क्या, कानून हाथ में किसी को लेना चाहिए क्या, पुलिस को क्या करना चाहिए? संकट के वक्त ऐसे किंतु, परंतु होते हैं, भेद और स्वार्थ होता है। हमें इन पर ध्यान ना देते हुए देशहित में सकारात्मक बनकर रहना चाहिए।
भागवत ने कहा- लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं रहेगी, ये बीमारी जाएगी। लेकिन, जो अस्त-व्यस्त हुआ है, उसे ठीक करने में वक्त लगेगा। कई जगह ऐसा हुआ कि छूट मिली तो भीड़ जमा हो गई। अब आने वाले वक्त में विद्यालय खुलेंगे तो इसके बारे में भी सोचना पड़ेगा। बाजार, फैक्ट्री, उद्योग शुरू होंगे और तब भी भीड़ नहीं होगी.. इसके बारे में चिंता करनी चाहिए।