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रतलाम हस्तशिल्प मेला : शहरवासियों को लुभा रहीं साड़ियां, सलवार सूट और तारापुर की ठप्पा छपाई वाला ड्रेस मटेरियल, 14 दिवसीय मेला रहेगा 31 दिसंबर तक

खबरगुरु (रतलाम) 23 दिसम्बर। संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम भोपाल के द्वारा रतलाम के रोटरी हॉल अजंता टॉकीज रोड पर 14 दिवसीय हस्तशिल्प मेला प्रदर्शनी 18 दिसंबर से प्रारम्भ हो गयी है। शहरवासी शॉपिंग करने पहुंच रहे हैं। मेला आम लोगों के लिए 31 दिसंबर तक नि:शुल्क सुबह 11:00 बजे से रात में 9:00 बजे तक खुला रहेगा।

ले रहे हैं 60 से ज्यादा शिल्पी भाग

मेला प्रभारी दिलीप सोनी ने बताया कि यहां हस्तशिल्प कलाकारों की कलाकारी को बेहद पसंद किया जा रहा है। पिछले कुछ समय में लोगों का रूझान हस्तशिल्प की तरफ ज्यादा बढ़ा है। इस हस्तशिल्प मेले में 60 से ज्यादा शिल्पी भाग ले रहे हैं। यह सभी शिल्पी अलग-अलग विधाओं में पारंगत हैं और सैकड़ों वर्षों से चली आ रही पारंपरिक विधाओं को सहेजकर आम लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। जिसमें महेश्वरी साड़ियां, मलबरी सिल्क, चंदेरी की साड़ियां व सलवार सूट, तारापुर की ठप्पा छपाई वाला ड्रेस मटेरियल सहित अन्य कई घरेलू उपयोगी सामग्री एवम सौंदर्य प्रसाधन की विशाल श्रंखला उपलब्ध हैं। साथ ही देवास की सिरेमिक पेंटिंग, मंदसोर का मेटल वर्क, लेदर के पर्स और बेल्ट भी उपलब्ध हैं। शहरवासी 31 दिसंबर तक हस्तशिल्प मेला विंटर शॉपिंग में डिस्काउंट ऑफर का लाभ ले सकते है।

प्रदेश के ही कारीगरों की लगन और मेहनत से बनाई गई कलात्मक सामग्री

सोनी ने बताया कि मृगनयनी प्रदेश के हस्तशिल्पकारों को अच्छा बाजार और गुणवत्तापूर्ण सामग्री की उचित कीमत दिलाने की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करता है। वर्तमान में कलाकारों की कला को देश में ही नहीं विदेशों में भी बाजार उपलब्ध कराने के लिए शासन पूरे प्रदेश में 32 वर्ष से नियमपूर्ण संचालन सफलतापूर्वक कर रहा है जिनके माध्यम से मध्य प्रदेश के ही कारीगरों की लगन और मेहनत से बनाई गई कलात्मक सामग्री का विक्रय किया जाता है। कलाकारों के उत्साह को बनाए रखने तथा उन्हें आर्थिक संबल प्रदान करने के क्रम में प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर अनेक स्थानों पर वर्ष भर में 100 से भी अधिक प्रदर्शनी का आयोजन करता है जिसमें बुनकर व हस्तशिल्पों को आमंत्रित किया जाता है । इन प्रदर्शनों में शिल्पकार जहां बाजार की मांग अनुसार अपने उत्पाद तैयार करता है वही कलाप्रेमी भी बाजार में उपलब्ध शिल्प से रूबरू होते हैं। मृगनयनी  दुर्लभ और लुप्त  कला बनाए रखने तथा अपनी परंपरा भौगोलिक पहचान और पर्यावरण संरक्षण की हर कारीगरी  को आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है । रतलाम का यह आयोजन इसी प्रयास का एक हिस्सा है।

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admin

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