ख़बरगुरु (रतलाम) : रतलाम शहर में रू.136 करोड़ के सीवरेज प्रोजेक्ट का कार्य चल रहा है , काम तो चल रहा है पर ज़िम्मेदारों की मनमानी और अनदेखी , जनता की परेशानी बनती जा रही है । रोज़ कोई न कोई ख़बर सीवरेज प्रोजेक्ट के नियमो के उल्लंघन की चल ही जाती है ।पाइप लाइन बिछाने के लिए मज़दूर खुदाई तो कर रहे है पर कई जगह देखने में आया है की न तो नगर निगम के इंजीनियर ठीक से मॉनीटरिंग करते हैं और न ठेकेदार कंपनी के इंजीनियर। मनमानी तरीक़े से नियम के विरुद्ध कार्य चल रहा है । जिससे आम जनता को कई परेशानीयो का सामना करना पड़ता है ।
कई जगह तो गड्ढे ऐसे भरकर छोड़े गए है की अब वहाँ किसी का आना जाना ही नहीं होगा , चार पहिया वाहन तो ठीक दो पहिया वाहनो का निकलना भी दूभर हो गया है । ऐसे में कभी आपातक़ालीन सुविधा जैसे एम्बूलेंस या अग्निशमक वाहन की ज़रूरत होती है तो कहाँ से आएगी ? क्या निगम किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है ?
ऐसे ही हालात मनीष नगर में भी है , यहाँ हालात ऐसे है की कई घरों सामने खुदाई हुई तो कई घरों को छोड़ दिया गया और जहाँ खुदाई हुई वहाँ खोदे गए गड्ढो में इस तरह से मिट्टी डाली की दो पहिया वाहन भी नहि निकल पा रहे । वार्ड पार्षद अरुण राव से जब सम्पर्क किया गया तो उनका कहना है की “सम्बंधित अधिकारी न तो मौक़े पर आते है और न ही ज़िम्मेदारी को समझ रहे है , ऐसे में हम जितना कर सकते है कर रहे है और ग़लत काम होगा तो उसे रोका जाएगा , जनता को परेशानी नहीं होने देंगे ” ।
अभी ताज़ा मामला टी आइ टी रोड पर खुदाई के समय भी सामने आया था जिसमें वहाँ रह रहे लोगों ने भी खुदाई को लेकर आपत्ति उठाई थी और कार्य ठीक से नहि होने पर काम रुकवाया था । बताया जा रहा है कि एग्रीमेंट में शर्त यह है कि 250 मीटर सीवरेज लाइन डालने के बाद भराव करने पर ही आगे की खुदाई होनी चाहिए। परंतु अधिकारियों और इंजीनियरो की अनदेखी चलते नियम के विरुद्ध कार्य होना पाया जाता है पर जनता की जागरूकता से कई ख़ामियाँ सामने आइ है । अब तो आम जनता भी सवालों के तीर छोड़ने लगी है , जिसका जवाब ज़िम्मेदार नहि दे पा रहे है ।
ये होना था : पाइप डालने के बाद खोदी गई जगह पर भराव कर समतल करना है और जैसी सड़क है उसे वैसा करना है ताकि कोई भी वाहन निकलने में परेशानी न हो ।
ये हुआ : जहां भी अब तक सीवरेज लाइन डाली गई, कई जगह ऐसे हालात हुए की ५-६ दिनो तक दो पहिया वाहन भी निकलने में दिक़्क़त होने लगी है । ऐसे में कोई दुर्घटना होती है और जनता तक सुविधा नहीं पहुँच पाती है तो उसका ज़िम्मेदार कौन ??
ये होना था : 250 फीट की लंबाई में खुदाई कर पाइप लाइन डालकर भराव करना है। और शाम तक गड्ढे भरना होता है ।
ये हुआ : कई बार दिन ढलने पर काम रोकना पड़ता है। ऐसे में पाइप लाइन के लिए खोदे गए हिस्से में हादसे का डर बना रहता है। गड्ढे खुले रहते है तो कोई भी हादसा हो सकता है ।
136 करोड़ रुपये के सीवरेज प्रोजेक्ट के कार्य में ज़िम्मेदारों की मनमानी रतलाम की जनता की परेशानी बन रही है । देखना है की ज़िम्मेदार कब जागेंगे ?? प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत का सपना कब और कितनी ईमानदारी पूरा होगा ।