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हिंदी में भी होगी MBBS की पढ़ाई, जानें क्या है रतलाम GMC की तैयारी

🔴  किताबों को हिंदी में अनुवाद करने का काम अंतिम चरण में

डॉ हिमांशु जोशी

खबरगुरु (रतलाम) 8 फरवरी। अगर आप भी डॉक्टर बनने का ख्वाब देखते हैं और हिंदी मीडियम के कारण मायूस हो रहे हैं। तो आपके लिए अच्छी खबर है। देश में पहली बार MBBS की पढ़ाई Hindi में होने जारी है। अब मध्य प्रदेश हिंदी में एमबीबीएस का करवाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। इसको लेकर सरकार की तैयारियां अंतिम चरणों में है। रतलाम मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षक भी इस अभियान में अपना सहयोग दे रहे है।

मातृभाषा हिंदी में भी पढ़कर बन सकेंगे डाक्टर

रतलाम शासकीय मेडिकल कॉलेज में हिंदी में एमबीबीएस को लेकर बनाए गए नोडल अधिकारी डॉ. विजय चौहान का कहना है कि इसको लेकर रतलाम मेडिकल कॉलेज भी अपना योगदान दे रहा है। डॉ चौहान ने बताया कि विद्यार्थियों का रुझान भी इस और दिख रहा है। अपनी मातृभाषा हिंदी में एमबीबीएस के लिए विद्यार्थियों में हर्ष है। साथ ही कई ऐसे विद्यार्थी जो हिंदी मीडियम से पढ़ाई किए हुए हैं उन्हें इससे बहुत मदद मिलेगी। वर्तमान में किताबों को हिंदी में अनुवाद करने का काम लगभग अंतिम चरण पर है। पब्लिशर को हिंदी में बनी किताबो का ऑर्डर दे दिया है। शीघ्र ही हमें किताबे प्राप्त हो जाएगी। पहले चरण में हर विषय की 25- 25 किताबें मंगाई जा रही है।

लाइब्रेरी में प्रत्येक विषय की किताबे हिन्दी में रहेगी उपलब्ध

मेडिकल कॉलेज के हर डिपार्टमेंट के चिकित्सा शिक्षक किताब को हिंदी में अनुवाद को लेकर अपना योगदान दे रहे हैं। किताब के हिंदी अनुवाद के लिए भोपाल से जो कार्य दिया जाता है, उसे हर डिपार्टमेंट के शिक्षकों को बांटकर हिंदी अनुवाद करवाया जा रहा है। मार्च तक एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए किताब उपलब्ध हो सकती है। जिसके लिए तैयारियां अंतिम चरणों में है। कॉलेज की लाइब्रेरी में प्रत्येक विषय की किताबे हिन्दी में उपलब्ध रहेगी। विद्यार्थी पब्लिशर से भी किताबे मंगवा सकेंगे।

कई देश डॉक्टरी की पढ़ाई अपनी मातृभाषा में करवा रहे हैं

रूस, यूक्रेन जापान चीन और फिलीपींस जैसे कई देश है जो अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई करवाते हैं। मातृभाषा में एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर कई विद्यार्थियों में उत्साह है। भारत में भी ऐसी पहल की शुरुआत हो गई है। इसके लिए मध्यप्रदेश अपनी मातृभाषा में एमबीबीएस की पढ़ाई करवाने वाला देश का पहला प्रदेश बन गया है।विद्यार्थियो के लिए किताब हिंदी में अनुवादित की जा रही है। हालांकि हिंदी में एमबीबीएस पढ़ाई की चाह रखने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा 10 से 12 प्रतिशत ही है।

फर्स्ट ईयर के विद्यार्थियों के लिए हिंदी में किताबों का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है और शीघ्र ही सेकंड ईयर के विद्यार्थियों के लिए भी हिंदी में किताबें उपलब्ध हो जाएगी। शिक्षक हिंदी में एमबीबीएस पढ़ाने की तैयारियों कर रहे हैं। हमारी मातृभाषा में एमबीबीएस करने से ऐसे विद्यार्थी जो पूर्व में हिंदी माध्यम से पढ़ाई किए हुए हैं उन्हें फायदा मिलेगा।

डॉ. जितेन्द्र गुप्ता- डीन

 शास. मेडिकल कॉलेज, रतलाम

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