ख़बरगुरु (रतलाम) 13 दिसंबर 2019। बार-बार पता बदलना ,अस्पताल छोड़कर भागना और अनेक कठिनाइयों के बाद भी आखिर मुन्नी बाई के घरवालों को कड़ी मेहनत के बाद समाजसेवी एवं काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी ने खोज निकाला और उसके पति को सकुशल सौंपा |
मुन्नी बाई पति जोहन गणवा उम्र 55 वर्ष निवासी ग्राम लोहारी थाना मरवाही जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ को जंगलों में लावारिस हालत में घूमते हुए देखकर सालाखेड़ी जवान जगदीश यादव ने जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में 1 दिसंबर को भर्ती करवाया |
मुन्नी बाई बातचीत में अपने को बैतूल के पास गांव का निवासी बता रही| अपने सात बच्चों के नाम खिलावन, लव ,कुश, केशव, सुलेश्वरी ,धनेश्वरी ,सीमा बता रही थी| उसी अनुसार बैतूल कंट्रोल रूम पर संपर्क कर प्रभारी संतोष जी से महिला को घर तक पहुंचाने की मदद मांगी|. उन्होंने जानकारी निकाली परंतु बताएं पते अनुसार इस प्रकार का कोई क्षेत्र वहां नहीं है बताया पश्चात मोबाइल वीडियो कॉलिंग में उन्होंने इसकी भाषा को वहां कि नहीं बताया |
प्रतिदिन उससे लगातार पूछताछ में गांव का नाम के आधार पर गूगल सर्च किया उसमें बिलासपुर जिला मैं मरवाही के पास लोहारी गांव नजर आया उक्त जानकारी मिलते ही बिलासपुर कंट्रोल रूम से संपर्क कर जानकारी से अवगत कराया| उन्होंने तत्काल मरवाही थाने से जवान को भेजकर घरवालों से वहां के स्कूल मास्टर मोहन मिश्रा के मोबाइल से वीडियो कॉलिंग पर मुन्नीबाई से उसके पति जोहन एवं घरवालों की बातचीत करवाई और उन्होंने उसे पहचान लिया | समाजसेवी गोविंद काकानी ने उनके घर वालों से इसे तत्काल ले जाने के लिए निवेदन किया साथ ही उनसे इसे अस्पताल में ही रुके रहने के लिए कहलवाया परंतु उसके बाद भी भोजन करने के बाद मुन्नीबाई अस्पताल से निकल गई | दिनभर ढूंढने के बाद रात मैं मिलने पर लाकर उसे अस्पताल में ताले में रखना पड़ा|
आज सुबह उसको लेने उसका पति जोहन गणवा आरक्षक दीपक कुमार मरावी थाना मरवाही को लेकर रतलाम पहुंचे उन्होंने बताया कि मुन्नीबाई 22 नवंबर से घर से बड़ी बेटी से मिलने कोटमी खुर्द के लिए निकली थी परंतु वहां नहीं पहुंची बहुत तलाश करने पर भी ना मिलने पर 3 दिसंबर को मरवाही थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई |आज उसे सकुशल पाकर हम काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के गोविंद काकानी, अस्पताल के डॉक्टर, सिस्टर, स्टाफ, पुलिस प्रशासन के अशोक शर्मा ,जगदीश यादव ,मीडिया के सहयोगी बंधुओं का ह्रदय से आभार मानते हैं उन्हीं के कारण मेरी कोई पत्नी सकुशल मुझे मिल पाई| मुझ जैसे गरीब आदिवासी मजदूरी करने वाले के लिए इतनी दूर 1050 किलोमीटर आना संभव नहीं था परंतु बिलासपुर पुलिस प्रशासन के सहयोग से एवं रतलाम के समाजसेवियों के कारण यह संभव हो पाया | अस्पताल से छुट्टी होते वक्त सिस्टर किरण जैकब ,लक्ष्मी डोडियार ,रेखामईडा ,भाग्यलक्ष्मी ,गोलू भाई, बहन मांगू निनामा, सुनीता काकडे सभी की आंखों में खुशी भरे आंसू आ गए |उसे रेलवे स्टेशन पर बिदा करने से पहले कपड़े ,रतलाम की नमकीन सेव, 1 महीने की दवा एवं घर पहुंचने तक की राशि मीडिया कर्मी बंधु की उपस्थिति में काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के गोविंद काकानी ने दी |