कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए सशर्त पैसिव यूथेनेसिया की इजाजत दे दी है अब किसी व्यक्ति को ये कहने का अधिकार होगा कि लाइलाज स्थिति में पहुँचने पर उसे जबरन ज़िंदा न रखा जाए. लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा कर मरने दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ‘लिविंग विल’ की मांग को मान लिया है लिविंग विल की प्रक्रिया जिलाधिकारी की निगरानी में होगी. कोई स्वस्थ व्यक्ति अपने यहां के जिलाधिकारी के पास ये लिख सकता है कि लाइलाज स्थिति में पहुंचने पर उसे जबरन ज़िंदा न रखा जाए..
पैसिव यूथेनेसिया आखिर क्या है?
ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के मुताबिक जब कोई व्यक्ति असाध्य बीमारी से ग्रस्त हो जाता है और उसकी पीड़ा असहनीय होती है या वह ऐसे कोमा में होता है, जहां से उसके उबरने के चांस नहीं होते तो उसकी मृत्यु की चाह को पूरा करना यूथेनेसिया की श्रेणी में परिभाषित किया जा सकता है|
कोर्ट ने लिखा है, “जब जीवन का इंद्रधनुष बेरंग हो जाए. जीवन ठहर जाए, रुक जाए. ज़िंदा रहना निरर्थक हो जाता है. क्या तब हमें ऐसे लोगों को जीवन की दहलीज से बाहर जाने, सम्मान से मौत को गले लगाने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए? कुछ लोगों के लिए मौत भी एक खुशी का मौका हो सकती है.”