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गुरू का आशीर्वाद व्यक्ति को सद्मार्ग की ओर ले जाता है -थावरचंद गेहलोत

गुरू का आशीर्वाद व्यक्ति को सद्मार्ग की ओर ले जाता है  -थावरचंद  गेहलोत

ख़बरगुरु (रतलाम) 21 जनवरी : गुरू का आशीर्वाद  सदमार्ग की ओर ले जाता है, यह उन पर निर्भर करता है कि हम उस पर कितना अमल करते हैं। यह बात केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत ने रतलाम में आयोजित स्मृति महोत्सव को संबोधित करते हुए कही।
पुण्य सम्राट, लोकसन्तश्री जयन्तसेन सूरीष्वरजी म.सा. की अंतिम चातुर्मास स्थली जयन्तसेन धाम पर चातुर्मास स्मृति महोत्सव का आयोजन नूतन पट्टधर गच्छाधिपति आचार्य श्री नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा. एवं आचार्य श्री जयरत्न सूरीश्वरजी म.सा. व मुनिमण्डल की पावन निश्रा में राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष, विधायक चेतन्य काश्यप द्वारा आयोजित किया गया। आज पुण्य सम्राट का 64 वां दीक्षा जयंती दिवस होने से स्मृति महोत्सव में गुरू के गुणगान से सभा स्मरणीय हो गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, विशेष अतिथि भाजपा जिलाध्यक्ष कान्हसिंह चौहान, राज्य कृषक आयोग अध्यक्ष ईश्वरलाल पाटीदार, जावरा विधायक डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय, ग्रामीण विधायक मथुरालाल डामर, जिला पंचायत अध्यक्ष परमेश मईड़ा, निगम अध्यक्ष अशोक पोरवाल थे। महोत्सव में सकल जैन श्रीसंघ के साथ शहर के 200 से अधिक समाज एवं संगठन के पदाधिकारियों, सदस्यों ने भाग लिया। केन्द्रीय मंत्री श्री गेहलोत ने कहा कि संकल्पों से ही सिद्धी प्राप्त होती है, इसलिए संतों के बतायें संकल्पों का हम सदैव स्मरण करते हैं। मनुष्य जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए गुरू की प्रेरणा जरूरी है, यह रतलाम का सौभाग्य रहा कि पुज्य सम्राट के अंतिम चतुर्मास का लाभ चेतन्य काष्यप जी को मिला और उनकी वाणी को सुनने का अवसर हम सभी को प्राप्त हुआ।
स्मृति महोत्सव में गच्छाधिपति आचार्यश्री नित्यसेन सूरीष्वरजी म.सा. ने कहा कि पुण्य सम्राट देह का त्याग कर हमारे बीच से चले गए हैं, मगर उनकी कृपा सभी पर बनी हुई है। आपने कहा कि आज का दिन पुण्य है। आज पुण्य सम्राट का 64 वां दीक्षा जयंती दिवस है। इस दिन उनका स्मरण करना हमारे लिए पुण्य लाभ प्राप्त करने समान है। आचार्यश्री ने कहा कि पुण्य सम्राट का रतलाम में अंतिम चातुर्मास होना पुण्य योग था। प्रबल पुण्योदय के बिना चातुर्मास का लाभ नहीं मिल सकता है। काश्यप परिवार की भावना, सेठ कन्हैयालाल काश्यप एवं श्रीमती झमकूबाई काश्यप की सदइच्छाओं को उनके पौत्र चेतन्य काष्यप ने फलीभूत कर इस परिवार की धार्मिकता को आगे बढ़ाया है। रतलाम का चातुर्मास विष्वभर में सर्वश्रेष्ठ रहा। रतलाम के सर्वधर्म ने भी इसकी प्रशंसा की। आज जयन्तसेन धाम में आने से चातुर्मास की स्मृति ताजा हो गई।
आचार्य श्री जयरत्न सूरीष्वरजी म.सा. ने आषीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि संसार की प्रवृत्तियों को छोड़ने का भाव रखें, तो ही आत्मकल्याण हो सकता है। आत्मा का स्वभाव तैरने का और कर्मों का स्वभाव डूबने का है। आत्मा परमात्मा से मिलने के लिए है, जबकि मन संसार के लिए। आपने कहा कि जो संसार में बड़ा बनने का भाव रखता है वह मोक्ष मार्ग की ओर कभी प्रवृत्त नहीं हो सकता है। आचार्यश्री ने कहा कि रतलाम का चातुर्मास सर्वजन, सर्वसमाज के लिए हुआ था। काश्यप परिवार ने धर्म को जोड़ने में अपना धन समर्पित किया और ऐतिहासिक चातुर्मास यहां हुआ, यह निष्चित रूप से पूर्वजन्म का सौभाग्य रहा होगा। अब तक चेतन्य काश्यप दो हाथों से सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अपना समर्पण करते रहे, मगर अब उनके दो पुत्र हैं जो चार हाथों से इन कार्यों का आगे बढ़ाएंगे। आचार्यश्री ने कहा कि चेतन्यजी को शासन के महत्वपूर्ण पद पर कार्य करने का अवसर मिला है तो वे समाज, जनमानस एवं धर्म के उत्थान के लिए इसी प्रकार समर्पित रहें।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि गुरू का संयोग पुण्योदय से होता है। गुरू मुक्तिदाता, ज्ञानदाता है। सुख प्राप्ति का मार्ग बताते है। निर्मलता पवित्रता, सरलता, प्रसन्नता जैसे गुणों की प्राप्ति गुरू के माध्यम से ही प्राप्त होती है। गुरू के बिना कोई राह नहीं दिखा सकता है। गुरू ही जीवन में प्रकाश करता है। हमारे जीवन में भी आज गुरू का अभाव दिख रहा है, मगर इस अभाव में भी उनका प्रभाव है। गुरूवर लोगों को धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा देते रहे। गूगल सब कुछ सर्च कर सकता है, मगर गुरू द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान और संयम पथ के मार्ग को नहीं बता सकता है। आपने कहा कि काश्यप परिवार द्वारा आयोजित लोकसन्तश्री के रतलाम चातुर्मास ने एक नया इतिहास कायम किया है। तीर्थ के रूप में जयन्तसेन धाम का निर्माण चातुर्मास होने से सार्थक हो गया।
चातुर्मास स्मृति महोत्सव के आयोजक, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष एवं रतलाम शहर विधायक चेतन्य काश्यप ने कहा कि किसी भी नगर का भौतिक विकास निर्माण कार्यों से होता है, परंतु आध्यात्मिक विकास गुरू के माध्यम से ही होता है। गुरू ही संस्कृति के गौरव को बढ़ाते हैं। संतों के समागम से शहर का वातावरण आध्यात्मिक होता है इसलिए ऐसे समागम होते रहना चाहिए। आपने कहा कि पूज्य गुरूदेव की वाणी का लाभ रतलाम को चातुर्मास में प्राप्त हुआ। समाज और संस्कृति की सेवा करने की प्रेरणा हमें गुरूदेव से ही प्राप्त हुई। गुरूदेव के आषीर्वाद से ही हम कोई भी संकल्प पूरा कर पाते हैं। अहिंसा ग्राम की शुरूआत भी गुरूदेव के सानिध्य में 2005 में हुई थी और आज यहां 35 से अधिक विभिन्न समाज के परिवार निवासरत होकर धर्म, संस्कार और जीवन के मर्म से जुड़े हैं।
जावरा विधायक डा.राजेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि हम धन्य हैं, जो इस पुण्य धरा पर हमारा जन्म हुआ। हम मनुष्य जीवन धारण कर संसार मंे प्रवेष करते है और इसे सिर्फ हमारा मान लेते हैं। स्मृति महोत्सव में आकर आज मैं स्वयं को धन्य महसूस कर रहा हूं। इस प्रकार के आयोजन से हम अपने मन को निर्मल बनाएं और गुरू के आषीर्वाद से निर्बल को सबल बनाएं।
भाजपा जिलाध्यक्ष कान्हसिंह चौहान ने कहा कि रतलाम चातुर्मास होना काश्यप परिवार का सौभाग्य रहा। इस सौभाग्य का मैं अभिनंदन करना चाहता हूं। ऐसी इच्छाशक्ति रखना और उसे मूर्त रूप देना बड़ा काम है। जीवन के सपाट रास्ते पर कभी महक मिलती है, तो यह ऐसे आयोजन से ही हो पाता है। राज्य कृषक आयोग के अध्यक्ष ईष्वरलाल पाटीदार ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए इस आयोजन को गुरू की कृपा निरूपित किया।
मुमुक्षुओं को आचार्यश्री ने दिया आषीर्वाद
सांसारिक जीवन का त्याग कर संयम पथ पर अग्रसर होने वाली सायला राजस्थान की कु. अनिता मोहनलालजी एवं बाली राजस्थान की कु.मीनल भंवरलाल कोठारी ने आचार्यद्वय से आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने आगामी 22 अप्रेल को पालीताणा तीर्थ में मुमुक्षुओं की दीक्षा तिथि की घोषणा कर मुहूर्त प्रदान किया। इस अवसर पर मुमुक्षु बहनों ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त की और इनके परिजनों ने समस्त उपस्थितजनों को दीक्षा महोत्सव में पधारने का निमंत्रण दिया। मुमुक्षु बहनों ने गुरूदेव को काम्बली भेंट कर आषीर्वाद प्राप्त किया। दीक्षार्थी बहनों का काष्यप परिवार की ओर से बहुमान श्रीमती तेजकुंवरबाई काष्यप व चेतन्य काश्यप ने किया।
गच्छाधिपति व आचार्यश्री का काश्यप परिवार की ओर से काम्बली ओढाकर अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर मातुश्री तेजकुवरबाई काष्यप, चेतन्य काष्यप, श्रीमती नीता काष्यप, सिद्धार्थ काष्यप, श्रवण काष्यप, श्रीमती पूर्वी काष्यप, श्रीमती अमि काश्यप, समीक्षा काश्यप एवं सारांश काश्यप सहित परिवारजन उपस्थित थे। आचार्यश्री का विभिन्न समाजों के प्रमुखों ने भी अभिनंदन किया। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक अध्यक्ष प्रेमकुमार मोगरा, जय खिमेसरा, इन्दरमल जैन, महेन्द्र बोथरा, महेन्द्र चाणोदिया, गुणवन्त मालवी, श्री सौभाग्य जैन साधना परिषद् अध्यक्ष सुरेन्द्र गादिया, प्रकाश मूणत, आनंदीलाल गांधी, हंसमुख भाई शाह, कांतिलाल मण्डलेचा, कन्हैयालाल गांधी, महेन्द्र एस गादिया, विरेन्द्र गांधी, भंवरलाल पुंगलिया आदि ने तथा श्री साधुमार्गी जैन श्रीसंघ के मंत्री सुदर्शन पिरोदिया, बाबूलाल सेठिया, चन्दनमल घोटा, कांतिलाल कटारिया, सिख समाज के ज्ञानी मानसिंह, गुरनामसिंह डंग, अजीत छाबड़ा, सुरेन्द्रसिंह धीमन, देवेन्द्रसिंह बग्गा, पारसी समाज के टेम्पटन अंकलेसरिया, सिन्धी समाज के ठाकुरदास गंगवानी सहित धनगर समाज की ओर से भी अभिनंदन कर समाज के पदाधिकारियों, सदस्यों ने आषीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में अतिथियों ने भक्तामर स्त्रोत आराधक मण्डल द्वारा प्रकाशित पत्र संयोजन पुस्तक ‘‘प्रभु कृपा से गुरू मिले, गुरू कृपा से प्रभु मिले’’ का व कु. प्रेरणा अनिल शर्मा के गीत संकलन का भी विमोचन किया। इस अवसर पर अतिथियों सहित मंचासीन रतलाम ग्रामीण विधायक मथुरालाल डामर, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमेष मईडा, पूर्व मंत्री धूलजी चौधरी, निगमाध्यक्ष अषोक पोरवाल का स्वागत श्री काष्यप, त्रिस्तुतिक जैन श्री संघ के अध्यक्ष डा. ओ.सी.जैन, सुषील छाजेड़ ने किया। संचालन राजकमल जैन ने किया।

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