ख़बरगुरु (रतलाम): आजकल रतलाम में हालात यह है कि आसमान में छाए धुएँ और धूल के ग़ुबार को देख कर लगता है मानो कहीं शहर में आग तो नहीं लगी हुई है !!!! साँस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है । रतलाम स्मार्टनैस के मामले आगे निकल पाए या न निकल पाए, सड़क में गड्ढों और प्रदूषण के मामले में रतलाम बहुत आगे निकल जाएगा । रतलाम की हवा धूल के साथ इतनी ज़हरीली होती जा रही है की उस में साँस लेना भी घातक होता जा रहा है , शाम होते होते हवा दमघोंटू हो चुकी है पर फिर भी जनता इतनी शांत और सहनशील हो चुकी है जैसे लगता है कि कोई समस्या ही न हो। ऐसा लगता है कि गड्ढों भरी सड़क में चलना और धूल भरी हवा में साँस लेने की हम रतलाम वालों की आदत सी होती जा रही है । इसीलिए तो ज़िम्मेदारो के कानों पर क्यों जूँ रेंगे! दूसरे पहलू से कहे तो ”कह सकते है की सड़कों में गड्ढों के कारण गाड़ी धीरे धीरे चलती है जिससे बड़ा सड़क हादसा नही होगा बस गड्ढों में गिरकर थोड़ी सी चोट आ सकती है पर स्पीड का बड़ा हादसा नहीं होगा ।”
रतलाम में कही-कही मुख्य मार्ग की हालत तो एसी हो चुकी है की बता पाना भी मुश्किल है की गड्ढों में सड़क है या सड़कों में गड्ढे ? गीता मंदिर रोड पर तो कुछ समय पहले विधायक अंकल और महापोर आंटी से धूल से राहत पाने के लिए विनती करते हुए बच्चों के फ़ोटो के साथ होर्डिंग्स भी लग चुके है । गड्ढों भरी सड़कों पर चलते चलते नए वाहन का हाल भी खस्ताहाल हो गया है । विशेषकर बच्चों,बुज़ुर्गों और मरीज़ों को धूल भरी हवा में साँस लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है । जनता बहुत सहनशीलता के साथ सहन कर रही है पर सवाल ये है कब तक जनता सहन करे ? क्यूँ ज़िम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियो को जनता की समस्याएँ नहीं दिख रही ?
कस्तूरबा नगर मुख्य मार्ग पर भी कुछ एसे ही हालात है आए दिन यहाँ कोई न कोई गड्ढों से गिरता या गिरते गिरते संभल जाता है , ज़्यादा परेशानी तो बुज़ुर्गों को है पर कौन करे चिंता ???? छत्री पुल से कोर्ट चौराहा होते हुए महू रोड तक रह रहे लोगों को मुफ़्त में धूल भरी ज़हरीली हवा मिल रही है । लगभग पूरे शहर में सड़कों की हालात पूरी तरह से ख़राब हो चुकी है , सीवरेज की खुदाई के चलते बची सड़कों की हालत भी खराब हो गई , पर ये हालात किसी भी ज़िम्मेदार अधिकारियों या जनप्रतिनिधियो को नहीं दिख रहे है ।
वहीं मुख्यमंत्री चौहान ने अमेरिका दौरे के दौरान वाशिंगटन में यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक फोरम द्वारा निवेशकों के साथ चर्चा के दौरान कहा, “जब मैं वाशिंगटन के हवाई अड्डे पर उतरने के बाद सड़क मार्ग से गया, तो मुझे महसूस हुआ कि मध्य प्रदेश की सड़कें अमेरिका से कहीं बेहतर हैं।” अब रतलाम क्या मध्यप्रदेश से बाहर हो गया क्या ? सड़कों में गड्ढों की भरमार लगी है । सोशल मीडिया पर जो मज़ाक़ बना है शायद वो पहले कभी नहीं हुआ होगा ।
यही उम्मीद है की जल्द ही रतलाम में सड़कों की स्थिति सुधरेगी और शहर वासियों को धूल और सड़कों में गड्ढों से निजात मिलेगी । नहीं तो फिर ये जनता है , जब ये जवाब देती है तो तख़्ता भी पलट देती है ।