ख़बरगुरु (नई दिल्ली) 17 नवम्बर। सोमवार से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता विधेयक पेश करने की सरकार की योजना, जम्मू कश्मीर की स्थिति, आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव होने की संभावना है ।संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाताओं को बताया कि बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा और बहस करना है। 27 दलों के सदस्यों ने बैठक में भाग लिया। जोशी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सत्र भी पिछले सत्र जितना ही फलदायी होना चाहिए। संसद का पहला सत्र काफी बेहतर रहा। इस सत्र के दौरान फौरी तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय बनाने, राष्ट्रीय जांच एजेंसी को और अधिक शक्तियां देने जैसे कई अहम विधेयक दोनों सदनों में पारित हुए। इस दौरान जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने और इसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों-जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव भी दोनों सदनों में पारित हुआ।
विपक्षी नेताओं ने फारुक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठाया और मांग की कि उन्हें सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जाए, लेकिन सरकार की ओर से कोई निश्चित प्रतिक्रिया नहीं मिली।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने बताया कि फारुक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा सर्वदलीय बैठक में उठाया गया। उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसी सांसद को अवैध रूप से हिरासत में कैसे लिया जा सकता है? उन्हें संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।