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21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानिए क्या करें ग्रहण के समय और ग्रहण के बाद

21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण,  जानिए क्या करें ग्रहण के समय और ग्रहण के बाद

खबरगुरु (रतलाम) 19 जून। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है और सूर्य के मध्य भाग को पूरी तरह से ढक लेता है तो इस घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इसके परिणामस्वरूप सूर्य का घेरा एक चमकती अंगूठी की तरह दिखाई देता है।

भारत समेत इस ग्रहण का नजारा नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, एथोपिया तथा कोंगों में दिखेगा। वहीं भारत में देहरादून, सिरसा अथवा टिहरी कुछ प्रसिद्ध शहर है जहां पर लोग वलयाकार सूर्य ग्रहण का खूबसूरत नजारा देख पाएंगे। देश के अन्य हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

21 जून को होता हैं सबसे बड़ा दिन

21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता हैं , पृथ्वी क़े 66.5 अंश झुके हुए होने तथा इसी स्थिति में सूर्य की परिक्रमा क़े कारण ही पृथ्वी पर दिन रात की अवधि में असमानता पाई जाती हैं , जब सूर्य विषुवत रेखा से उत्तर में लम्बवत चमकता हैं तो उस समय उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े औऱ रातें छोटी होती हैं तथा दक्षिणी गोरार्द्ध में सीधे चमकने पर इसके विपरीत रातें बड़ी औऱ दिन छोटे होते हैं , 21 जून को जब सूर्य कर्क रेखा ( 23.5 अंश उत्तरी अक्षांश ) पर लम्बवत चमकता हैं उस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे छोटी होती हैं, 21 जून को सूर्योदय प्रातः 5: 46 पर तथा सूर्यास्त सांय 7:11 पर होगा , इस दिन दिन 13 घण्टे 25 मिनट का वही रात्रि 10 घण्टे 35 मिनट रहेगा।

खबरगुरू से चर्चा में पं. संजय शिवशंकर दवे ने बताया कि आषाढ़ कृष्ण अमावस्या रविवार 21 जून को मृगशिरा नक्षत्र व मिथुन राशि में यह कंकण सूर्यग्रहण लगेगा। यह चूड़ामणि योग में लग रहा है। 21 जून को पढ़ने वाला सूर्यग्रहण प्रातः 10 बजकर 11 मिनट पर आरम्भ होगा जिसका मोक्षकाल दोपहर 1 बजकर 42 मिनट रहेगा , इस ग्रहण का पर्वकाल 3 घण्टा 31 मिनट रहेगा , इस ग्रहण क़ा सूतक ग्रहण आरंभ क़े 12 घण्टे पूर्व अर्थात 20 जून को रात्रि 10 बजे क़े बाद प्रारंभ होगा।  इस ग्रहण क़े प्रभाव से वातावरण क़े तापमान में अचानक परिवर्तन होगा ठंडक का अनुभव होगा सूर्यग्रहण क़े प्रभाव से जन-जीवन , पशु-पक्षी एवं वनस्पति भी प्रभावित होते हैं विशेष रूप इसका प्रभाव मनुष्य क़े शरीर पर भी पड़ता हैं , सूर्य ग्रहण के प्रभाव से पाचन क्रिया प्रभावित होती हैं ऐसे समय मे वायुमण्डल में कई प्रकार क़े विषाणुओ की वृद्धि हो जाती हैं,  शरीर मे तापमान में कमी आ जाती हैं रक्त प्रभाव शिथिल हो जाता हैं , इसी कारण वैदिक पद्धति में ग्रहण में भोजन न करना ग्रहणोपरांत स्नान आदि नियमों के पालन पर ज़ोर दिया गया हैं जिससे दुष्प्रभाव से बचा जा सकें। इस ग्रहण के प्रभाव से कई दिनों तक लोगो में मानसिक अवसाद निर्मित होने की संभावना रहेगी।

 धैर्य न खोये और ईष्ट साधना को करें मजबूती प्रदान 

शास्त्रानुसार जितना सम्भव हो सकें व्यक्ति को अपने धर्म परम्परा अनुरूप अपनी साधना आराधना ध्यान को बल देना चाहिये , ग्रहण क़े उपरान्त स्थितियों में आगे चलकर औऱ बिखराव निर्मित होने की संभावना हैं अतः उन स्थितियों से उभरने के लिये मनोबल की मजबूती की महती आवश्यकता है अतः जितना संभव हो धैर्य न खोये औऱ ईष्ट साधना को मजबूती प्रदान करें , साथ ही शासन-प्रशासन द्वारा दर्शाये नियमों क़ा पालन करें

क्या करें ग्रहण के समय

  • ग्रहण के सूतक पूर्व खाद्य पदार्थों में तुलसी दल कुशा रखने का विधान है।
  • अपने धर्म अनुसार इष्ट भगवान की आराधना करे।
  • ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखना चाहिए।
  • ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई कर देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्नान करना चाहिए। पूजा-पाठ करना चाहिए।
  • ग्रहण के पश्चात किए गए दान के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि इससे सामान्य दिनों में किए गए दान की अपेक्षा कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।

क्या नहीं करें ग्रहण के समय

  • सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।
  • ग्रहण के समय किसी भी घातक चीज जैसे- चाकू, छुरी,ब्लेट कांटा आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • ग्रहण के समय भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • अति आवश्यक न हो तो घर के बाहर जाने से बचना चाहिए।

इन राशियों के लिए ग्रहण शुभ नहीं, इन उपायों से मिलेगा लाभ

  • मेष, सिंह, कन्या,मकर , राशि वाले जातकों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ रहेगा।
  • वृषभ, तुला धनु व कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह ग्रहण मध्यम फलदाई है।
  • कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वाले जातकों के लिए यह ग्रहण अशुभफल कारक है। 

इन उपायों को करें

ग्रहण के दौरान आपको धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हुए खुद को प्रसन्‍नचित अवस्‍था में रखना चाहिए। रोग शांति के लिए ग्रहणकाल में आपको महामृत्‍युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। अपने धर्म अनुसार इष्ट भगवान की आराधना करे। उसके बाद ग्रहण समाप्‍त होने पर वस्‍त्र, फल, और दक्षिणा सहित दान करने से रोग मुक्‍त होते हैं।
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