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रतलाम: मनकामेश्वर महादेव मंदिर में पूजन-अर्चन संग हुआ जलाभिषेक, भोले के जयकारों से भक्तिमय हुआ वातावरण, देखे वीडियो

🔴 एकादशी रविवार को होने से इस दिन की जाती है विष्णु जी, शिव जी सूर्य देव की विशेष पूजा

खबरगुरु (रतलाम) 24 जुलाई। सावन महीना चल रहा है और आज 24 जुलाई रविवार को कृष्ण पक्ष की एकादशी है। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत और पूजन से भक्तों की सभी कामनाएं पूरी हो सकती हैं। ये एकादशी रविवार को होने से इस दिन विष्णु जी, शिव जी के साथ ही सूर्य देव की भी विशेष पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा ही नजारा आज रतलाम के कई शिव मंदिरों में देखने को मिला है। मनीष नगर स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर पर रहवासियों ने शिवजी का जलाभिषेक किया।

मनीष नगर स्थित मनकामेश्वर महादेव को इस तरह सजाया

रविवार को सुबह से ही मनीष नगर स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर पर भक्त एकत्रित होने लगे थे। शिव अभिषेक के लिए महिलाओं के साथ पुरूष और बुजुर्गो के साथ बच्चों में भी उत्साह देखते बन रहा था। शहर के प्रसिद्ध मनकामेश्वर महादेव मंदिर में पूजन-अर्चन के लिए कतार में लग गयीं। अपनी बारी के अनुसार श्रद्धालु हर-हर महादेव के जयघोष के बीच बाबा का जलाभिषेक किया। शहर के अन्य मंदिरों पर पूजन-अर्चन पूरे दिन चलता रहा। मंदिरों में गूंजते जयकारे की ध्वनि से पूरा वातावरण शिवभक्ति से सराबोर हो गया।


शिव का जलाभिषेक के लिए मिलकर सहयोग करते भक्त

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महादेव एक लोटा शुद्ध जल से अभिषेक करने पर ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए शुद्ध जल से शिवलिंग पर अभिषेक करना सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि भरपूर जलावृष्टि से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं। शुद्ध जल से शिवलिंग पर अभिषेक करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन माह की एकादशी पर शिव पूजा जरूर करें। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल, चंदन आदि चीजों से श्रृंगार करें।

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कामिका एकादशी का महत्व
हिंदू पंरपरा के अनुसार एकादशी का व्रत और पूजा सबसे शुभ माना गया है। ऐसी ही एक एकादशी है जो सबसे फलदायी और मान्यता प्राप्त है। सावन महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं। मान्यता के अनुसार कामिका एकादशी पर विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से वही फल प्राप्त होता है जो गंगा, काशी में पूजन का मिलता है। इस एकादशी में तुलसी की मंजरियों से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु मोती, रत्न, मणि आदि चढ़ाने से भी इतने प्रसन्न नहीं होते, जितने कि तुलसी की मंजरी चढ़ाने से खुश होते हैं।

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admin

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